हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यह रिवायत "मुस्तदरक अल-वसाइल" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الرضا علیه السلام:
مَن زارَ قَبْرَ الحُسَيْنِ عليه السلام بِشَطِّ الْفُراتِ كانَ كَمَن زارَ اللّهَ
इमाम अल-रज़ा (अ) ने फ़रमाया:
जो कोई फ़रात नदी के किनारे इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत करता है, वह अल्लाह की ज़ियारत करने वाले के समान है।
मुस्तदरक अल-वसाइल, भाग 10, पेज 250
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