शनिवार 15 फ़रवरी 2025 - 15:42
ईरान के इंकेलाबे इस्लामी की सफलता, लोगो की दीन और मरजइयत से जुड़े रहने का परिणाम है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने कहा कि ईरान के इस्लामी क्रांति की सफलता को 46 साल हो चुके हैं इस क्रांति की सफलता जनता की धर्म और मरजइयत से जुड़ाव का परिणाम है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने कहा कि ईरान के इस्लामी क्रांति की सफलता को 46 साल हो चुके हैं जिसमें जनता ने अपनी इच्छाओं और संकल्पों को साकार किया।

उन्होंने नजफ अशरफ के हुसैनिया आज़ाम फातमिया में जुमे की नमाज़ के खुतबे में कहा कि यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब जनता धर्म से जुड़ी होती है, तो वह सफल होती है और जब वह मरजइयत (धार्मिक नेतृत्व) पर विश्वास करती है तो उन्नति प्राप्त करती है।

इमाम ए जुमआ नजफ अशरफ ने कहा कि जो लोग अल्लाह पर भरोसा करते हैं वे सफलता प्राप्त करते हैं क्योंकि इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार अल्लाह की मदद उन लोगों के साथ होती है जो धर्म की उन्नति के लिए प्रयासरत होते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी छात्रों के ग्रेजुएशन समारोह का अत्बात आलियात में आयोजन एक सुंदर और भव्य दृश्य है हम शैक्षिक संस्थानों और पवित्र स्थलों के प्रबंधकों का आभार व्यक्त करते हैं और इन ऐतिहासिक क्षणों पर छात्रों को बधाई देते हैं।

उन्होंने इराक की एक विकलांग और कमजोर वर्ग से संबंध रखने वाली छात्रा के तायक्वोंडो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने को इस्लामी विचारधारा में महिलाओं के स्थान का प्रमाण करार दिया और कहा कि इस्लाम की सोच "वंचना और पिछड़ापन के बजाय सहभागिता और पवित्रता को बढ़ावा देती है।

उन्होंने रसूल अक़रम स.ल.व.व. की हदीस बयान करते हुए कहा कि अगर दुनिया का केवल एक दिन भी बाकी रह जाए, तो भी अल्लाह उसे तब तक लंबा करेगा जब तक कि मेरे अहल-ए-बैत में से एक व्यक्ति खड़ा न हो जाए और दुनिया को न्याय व इंसाफ से भर न दे जैसे वह अन्याय से भर चुकी होगी।

कबांची ने कहा कि हमें तीन बातों पर विश्वास रखना चाहिए:

हमारी जीत निश्चित है।

धर्म का वर्चस्व होगा और बाकी सभी योजनाएँ असफल होंगी।

हमें केवल दर्शक नहीं बनना चाहिए बल्कि सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

अंत में उन्होंने कहा कि अगर मरजइयत (धार्मिक नेतृत्व) का फ़तवा न होता, तो वैश्विक शक्तियाँ सफल हो जातीं, इराक का अस्तित्व समाप्त हो जाता, क्षेत्र का नक्शा बदल जाता और इस्लामी दुनिया में उम्मया शासन की वापसी संभव हो जाती।

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