शुक्रवार 14 फ़रवरी 2025 - 11:35
छात्र अपने इल्म और अख्लाक के जरिए हमेशा लोगों की सेवा करें

हौज़ा / आयतुल्लाह आराफी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि धार्मिक शिक्षा केंद्रों (हौज़ा ए इल्मिया) का समाज की वर्तमान आवश्यकताओं से जुड़ाव बना रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों से विनम्रता और जनसेवा के माध्यम से धार्मिक विद्वानों की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का आग्रह किया और कहा,हमे अपने इल्म और अख्लाक के जरिए हमेशा लोगों की सेवा करनी चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने प्रांतीय ओलंपियाड के शीर्ष छात्रों के एकत्रित समूह में शिरकत की उन्होंने शाबान की पंद्रहवीं रात की महिमा और गरिमा पर जोर देते हुए इसे आध्यात्मिक जागरूकता और इमाम ए ज़माना स.ल. के प्रकट होने का अवसर बताया।

उन्होंने कहा,यह रात विलायत के सूर्य के उदय और वसीयत की समाप्ति की रात है हमें ईश्वर का आभार प्रकट करना चाहिए कि इस पवित्र रात में हमें अपने प्रिय मित्रों और युवा छात्रों के समक्ष उपस्थित होने का अवसर मिला।

आयतुल्लाह आराफी ने ओलंपियाड में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले युवा छात्रों की सराहना करते हुए उनके लिए और अधिक सफलता की कामना की उन्होंने कहा,छात्रों को यह समझना चाहिए कि वे एक ऐसे स्थान पर खड़े हैं जिसकी ऐतिहासिक जड़ें 1200 वर्षों से अधिक पुरानी हैं। हौज़ा-ए-इल्मिया का इतिहास समृद्ध और गौरवशाली है जिसमें महान वैज्ञानिक और धार्मिक उपलब्धियाँ दर्ज हैं।

उन्होंने हौज़ा के महान विद्वानों की बौद्धिक महानता का उल्लेख करते हुए जैसे शेख मुफीद, ख्वाजा नसीरुद्दीन तूसी, अल्लामा तबातबाई और अन्य प्रतिष्ठित उलेमा की विद्वत्ता की सराहना की।

उन्होंने कहा,यदि कोई व्यक्ति हौज़ा के इतिहास का अध्ययन करे और इन विद्वानों की बौद्धिक गहराई को समझे तो निस्संदेह वह इस मार्ग से प्रेम करने लगेगा। हौज़ा-ए-इल्मिया का ज्ञान न केवल दुनिया बल्कि आख़िरत की सफलता का भी कारण बनता है।

इसके अलावा उन्होंने इस्लामी क्रांति में हौज़ा-ए-इल्मिया की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा,इस्लामी क्रांति ने हौज़ा और धार्मिक विद्वानों के लिए नए क्षितिज खोले हैं हम पुराने छात्र, जो क्रांति से पहले अध्ययन कर रहे थे, कई कठिनाइयों का सामना कर चुके हैं, लेकिन आज के युवा छात्र ऐसे अवसरों के बीच हैं जिनका उपयोग वे अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए कर सकते हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हौज़ा-ए-इल्मिया का समाज की वर्तमान आवश्यकताओं से संपर्क बना रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे विनम्रता और सेवा के माध्यम से धार्मिक विद्वानों की प्रतिष्ठा को बढ़ाएं।

उन्होंने कहा,हमें अपने ज्ञान और नैतिकता के द्वारा लोगों की सेवा करनी चाहिए और किसी भी प्रकार के विवादों और अवांछित गतिविधियों से दूर रहना चाहिए आज समाज में धार्मिक विद्वानों की प्रतिष्ठा बहुत ऊँची है लेकिन हमें इसे अपने आचरण और व्यवहार से बनाए रखना होगा।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha