शुक्रवार 31 जनवरी 2025 - 11:23
इस्लामी गणराज्य ईरान की स्थापना मानव इतिहास और जन आंदोलनों में एक नया अध्याय है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने अपने कार्यालय में तेहरान की औद्योगिक विश्वविद्यालय के एक समूह का स्वागत के दौरान, इस्लामी गणराज्य ईरान की दृढ़ता की सराहना करते हुए उसकी स्थापना को मानव इतिहास और जन आंदोलनों में एक नया अध्याय करार दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची, नजफ के इमाम-जुमआ ने अपने कार्यालय में तेहरान की शरीफ औद्योगिक विश्वविद्यालय के एक समूह का स्वागत किया।

उन्होंने घोषणा की कि ये छात्र तीन दिनों तक उनके कार्यालय से संबद्ध संस्थानों में से एक इमाम मेंहदी स.ल. विश्वविद्यालय में अतिथि रहेंगे और उनके लिए सुखद प्रवास की कामना की।

नजफ के इमाम जुमआ ने इस बैठक में इराक और ईरान के बीच धार्मिक और शैक्षिक आदान-प्रदान के महत्व को उजागर किया और इसकी सराहना की।

उन्होंने यह भी कहा कि इराक द्वारा लाखों ज़ायरीनों की मेजबानी करना क्षेत्र में धार्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण संकेत है।

हुज्जतुल इस्लाम कबांची ने इस्लामी गणराज्य ईरान की दृढ़ता और स्थायित्व की सराहना करते हुए इसकी स्थापना को मानव इतिहास और जन आंदोलनों में एक नया अध्याय बताया।

उन्होंने आगे कहा कि पैगंबरों को सत्य और असत्य के बीच संघर्ष के लिए भेजा गया था और आज राष्ट्र, विशेष रूप से अहले-बैत (अ.स.) के अनुयायी, इसी संघर्ष में लगे हुए हैं।

नजफ के इमाम-जुमआ ने इस बात का उल्लेख किया कि अल्लाह तआला ने उन लोगों की सहायता का वादा किया है जो धैर्य और स्थिरता का मार्ग अपनाते हैं। उन्होंने कुरआन की इस आयत का हवाला दिया:

"وَکَأَیِّنْ مِنْ نَبِیٍّ قَاتَلَ مَعَهُ رِبِّیُّونَ کَثِیرٌ فَمَا وَهَنُوا لِمَا أَصَابَهُمْ فِی سَبِیلِ اللَّهِ وَمَا ضَعُفُوا وَمَا اسْتَکَانُوا ۗ وَاللَّهُ یُحِبُّ الصَّابِرِینَ وَمَا کَانَ قَوْلَهُمْ إِلَّا أَنْ قَالُوا رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَإِسْرَافَنَا فِی أَمْرِنَا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَی الْقَوْمِ الْکَافِرِینَ فَآتَاهُمُ اللَّهُ ثَوَابَ الدُّنْیَا وَحُسْنَ ثَوَابِ الْآخِرَةِ وَاللَّهُ یُحِبُّ الْمُحْسِنِینَ"

इस आयत का हवाला देते हुए, उन्होंने ईश्वरीय उद्देश्यों की प्राप्ति के मार्ग में धैर्य, स्थिरता और अल्लाह की सहायता की आशा बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

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