हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "मजमूआ वर्राम" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الحسن المجتبی علیه السلام:
لَوْ جَعـَلْتُ الدُنْيا كُلَّها لُقْمـَةً واحِدَةً لَقَمْتُها مَنْ يَعْبُدُ اللّه َ خالِصا لَرَأَيْتُ أَنّى مُقـَصِّرٌ فِى حَقِّهِ، وَلَوْ مَنَعْتُ الكافِرَ مِنْها حَتّى يَمُوتَ جُوعا وَعَطَشا ثُمَّ أَذَقْتُهُ شَرْبَةً مِنَ الماءِ لَرَأَيْتُ أَنّى قَدْ أَسْرَفت.
इमाम हसन मुज्तबा (अ) ने फ़रमाया:
अगर मैं पूरी दुनिया को एक निवाला बनाकर किसी ऐसे व्यक्ति को खिला दूं जो सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करता है, तो मैं खुद को लापरवाह और दोषी मानूंगा। इसके मुकाबले अगर मैं किसी काफिर को इतना भूखा मार दूं कि वह भूख-प्यास से मर जाए और उस वक्त उसे बहुत कम पानी पिला दूं, तो मैं खुद को उसकी तुलना मे फ़ुज़ूल खर्च समझूंगा।
मजमूआ वर्राम, पेज 350
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