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दिन की हदीसः
बरकत में कमी का कारण
हौज़ा / इमाम जाफ़र सादिक (अ) ने एक रिवायत में फ़ज़ूलखर्ची के नतीजों के बारे में बताया है।
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दिन की हदीस:
हज़रत अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम की नज़र में इसराफ की निंदा
हौज़ा / हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में इसराफ (फज़ूल खर्ची) की निंदा की है।
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ग़रीबी और मुश्किल की वजह!
हौज़ा / अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अ) ने एक रिवायत में ग़रीबी और मुश्किल की एक मुख्य वजह बताई है।
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हज़रत इमाम ज़मान (अ) का मक़ाम और मंज़िलत
हौज़ा / हज़रत इमाम जाफ़र सादिक (अ) ने एक रिवायत में हज़रत वली-ए-अस्र (अ) के मक़ाम और मंज़िलत के बारे में बताया है।
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दिन की हदीसः
पैग़म्बर (स) की नज़र में माँ का बेमिसाल दर्जा
हौज़ा/ पैग़म्बर (स) ने एक हदीस में माँ के बेमिसाल दर्जे के बारे में बताया है।
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दिन की हदीसः
माँ की दुआ का हैतर अंगेज़ असर
हौज़ा/ पैग़म्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि व सल्लम) ने एक रिवायत में माँ की दुआ के हैरत अंगेज़ असर के बारे में बयान फ़रमाया है।
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दिन की हदीसः
माता-पिता की सेवा करने से गुनाहों की माफ़ी मिलती है
हौज़ा/ हज़रत इमाम सज्जाद (स) ने एक रिवायत में बताया है कि “माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करना” इंसान के लिए माफ़ी के दरवाज़े खोलने की वजह है।
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दिन की हदीसः
माता-पिता के साथ व्यवहार की बारीकियाँ
हौज़ा / इमाम सादिक़ (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में हमें माता-पिता का आदर करने के दक़ीक़ तौर-तरीकों की याद दिलाई है।
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मोहब्बत की निगाह से माता-पिता की ओर देखने का महत्व
हौज़ा / इमाम सादिक़ (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में माता-पिता की ओर मोहब्बत की निगाह से देखने के महत्व को बयान किया है।
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रोज़े जुमा के गुस्ल की फ़ज़ीलत
हौज़ा / इमाम जाफ़र सादिक (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में रोज़े जुमा के गुस्ल की फ़ज़ीलत बयान फ़रमाई है।
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दुनिया की अनदेखी
हौज़ा /अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अलैहिस्सलाम) ने एक हदीस में इंसान को दुनिया से जुड़े रहने और आखिरत को नज़रअंदाज़ करने से आगाह किया है।
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मौत की याद ज़िंदगी में सुकून का ज़रिया है
हौज़ा / अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अ) ने एक रिवायत में मौत की याद को ज़िंदगी में सुकून और शांति का ज़रिया बताया है।
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दिन की हदीसः
रोज़ाना कम होती उम्र को नज़रअंदाज़ करना
हौज़ा / अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अलैहिस्सलाम) ने इस रिवायत में इंसान को रोज़ाना कम होती उम्र को नज़रअंदाज़ करने से अवगत किया है।
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दिन की हदीसः
आखिरत के सफर की तैयारी
हौज़ा / अमीरुल मोमेनीन अली (अलैहिस्सलाम) ने इस रिवायत में इंसान को चेतावनी दी है कि उसे मौत के अचानक आने से पहले सावधान और तैयार रहना चाहिए।
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मौत से बचना नामुमकिन!
हौज़ा/ इमाम अली नक़ी (अलेहिस्सलाम) ने एक रिवायत में मौत की सच्चाई और उससे बचने के नामुमकिन होने की तरफ ध्यान दिलाया है।
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दिन की हदीस:
मौत की याद करते रहना
हौज़ा / हज़रत इमाम अली अलैहिस्लाम ने एक रिवायत में मौत को याद करने की नसीहत फरमाई हैं।
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इस्लामी कैलेंडरः
सदक़े के लिए सबसे अच्छा दिन
हौज़ा / इमाम मुहम्मद बाकिर (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में शुक्रवार को सदक़ा देने की खास फ़ज़ीलत बताई है।
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दिन की हदीसः
जन्नत और जहन्नम का रास्ता
हौज़ा / अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) ने एक हदीस में सच और झूठ के दो रास्तों की असलियत बयान की है। दो रास्ते जिनमें से हर इंसान को एक चुनना है।
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दिन की हदीस:
हक़ बात की कद्र
हौज़ा / हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में हक़ बात की कद्र करने की नसीहत फरमाई है
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दिन की हदीसः
हज़रत ज़हरा (स) और गुनाहगारों की शफ़ाअत
हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा (सला मुल्ला अलैहा) ने एक रिवायत में अपने मक़ाम और मंज़िलत की ओर इशारा किया है।
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दिन की हदीस:
हज़रत ज़हेरा स.ल.का हक़ ग़स्ब करने वालों का अंजाम
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने एक रिवायत में हज़रत ज़हेरा स.ल.का हक़ ग़स्ब करने वालों के अंजाम की ओर इशारा किया है
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फ़ातिमा, पैग़म्बर (स) के वजूद का एक हिस्सा
हौज़ा / पवित्र पैग़म्बर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) ने एक रिवायत में हज़रत फातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) की अहम जगह के बारे में बताया है जो उनके और पवित्र पैग़म्बर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) के बीच गहरे और अटूट रिश्ते को दिखाता है।
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हक़ की कड़वाहट और बातिल की मिठास
हौज़ा / इमाम अली (अलैहिस्सलाम) ने हक़ की कड़वाहट और बातिल की मिठास के बारे में एक ज़रूरी बात बताई है।
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दिन की हदीसः
तीन ऐसे काम जिनका सवाब हैरत अंगेज़ हैं
हौज़ा / रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि व सल्लम) ने एक रिवायत में तीन ऐसे कामों का ज़िक्र किया है जिनका सवाब हैरत अंगेज़ हैं।
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दिन की हदीसः
दरियादिली और कंजूसी में फ़र्क
हौज़ा/अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में दरियादिली और कंजूसी में फ़र्क समझाया है।
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परिवार पर बद अख़लाक़ी का असर
हौज़ा/अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में परिवार पर बद अख़लाक़ी के बुरे असरात की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
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सर्वोत्तम अख़लाक़ और अदब
हौज़ा / इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में सर्वोत्तम अख़लाक़ और अदब प्राप्त करने का तरीका बताया है।
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दिन की हदीसः
नैतिकता की छाया में सम्मान और अपमान!!
हौज़ा/अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) ने एक रिवायत में फ़रमाया है कि अच्छे और बुरे नैतिक गुण किसी व्यक्ति के सम्मान और अपमान का मापदंड हैं।