बुधवार 5 मार्च 2025 - 07:44
शैतान के झूठे वादे और भ्रामक आशाएँ

हौज़ा / यह आयत हमें चेतावनी देती है कि शैतान झूठी आशाएँ और निराधार इच्छाएँ पैदा करके लोगों को धर्म से दूर ले जाने का प्रयास करता है। उसके सारे वादे महज धोखे हैं और हमें उनसे बचना चाहिए। एक सच्चा आस्तिक कुरान, हदीस और ईश्वर की शिक्षाओं के प्रकाश में अपना जीवन जीकर शैतानी फुसफुसाहटों को अस्वीकार कर सकता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी|

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम

يَعِدُهُمْ وَيُمَنِّيهِمْ ۖ وَمَا يَعِدُهُمُ الشَّيْطَانُ إِلَّا غُرُورًا   यऐदोहुम व यो मन्नीहिम वमा यऐदोहोमुश शैतानो इल्ला ग़ोरूरा (नेसा 120)

अनुवाद: शैतान उनसे वादा करता है और उन्हें आशा देता है, और जो कुछ वह वादा करता है वह धोखे के अलावा कुछ नहीं है।

विषय:

शैतान के वादे और धोखे के रूप में उनकी वास्तविकता

पृष्ठभूमि:

यह आयत सूरह अन-निसा में मुनाफ़िकों और अविश्वासियों के बारे में चर्चा के भाग के रूप में आती है। अल्लाह तआला यह स्पष्ट कर रहा है कि शैतान विभिन्न झूठे वादे करके लोगों को गुमराह करता है, लेकिन वास्तव में उसके वादे केवल धोखा और भ्रम हैं। यह आयत हमें एहसास दिलाती है कि शैतानी फुसफुसाहटों और भ्रामक आशाओं से बचना ज़रूरी है ताकि हम धर्म के मार्ग से भटक न जाएँ।

तफ़सीर:

1. शैतान की चालें: शैतान मनुष्य को सांसारिक सुख-सुविधाओं, पापमय सुखों और झूठे विचारों में लिप्त करके उसे गुमराह करता है। वह मनुष्य के हृदय में दीर्घायु, असीमित जीविका और क्षमा की आशाएं उत्पन्न करता है, ताकि वह पाप करना जारी रखे।

2. वादे और धोखा: शैतान के वादे वास्तव में धोखे और झूठ पर आधारित हैं। कुरान में कई स्थानों पर उल्लेख है कि प्रलय के दिन शैतान स्वयं स्वीकार करेगा कि उसके वादे महज धोखा थे। (सूरा इब्राहीम: 22)

3. मोमिन और शैतानी फुसफुसाहटें: सच्चा मोमिन शैतान के बहकावे में नहीं आता, बल्कि कुरान और हदीस की रोशनी में अपना जीवन व्यतीत करता है। केवल अल्लाह पर सच्ची आशा और धर्मपरायणता ही किसी व्यक्ति को शैतान के धोखे से बचा सकती है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

• शैतान का सबसे बड़ा हथियार झूठे वादे और उम्मीदें हैं।

• उसकी फुसफुसाहटें क्षणिक रूप से सुखद लगती हैं, लेकिन वास्तव में हानिकारक होती हैं।

• अल्लाह तआला ने हमें बताया है कि शैतान का हर वादा एक धोखा मात्र है, इसलिए हमें इससे बचना चाहिए।

• कुरान की शिक्षाएं और अहले-बैत (अ) का मार्गदर्शन शैतान के धोखे से बचने का सबसे अच्छा साधन है।

परिणाम:

यह आयत हमें चेतावनी देती है कि शैतान झूठी आशाएँ और निराधार इच्छाएँ पैदा करके लोगों को धर्म से दूर ले जाने का प्रयास करता है। उसके सारे वादे महज धोखे हैं और हमें उनसे बचना चाहिए। एक सच्चा आस्तिक कुरान, हदीस और ईश्वर की शिक्षाओं के प्रकाश में अपना जीवन जीकर शैतानी फुसफुसाहटों को अस्वीकार कर सकता है।

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सूर ए नेसा की तफ़सीर

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