हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित परंपरा "तोहफ़ुल उक़ूल" पुस्तक से उद्धृत है। इस परम्परा का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
لا تَنْظُرُوا في عُيُوبِ النّاسِ كَالْأرْبابِ وَانْظُرُوا في عُيُوبِكُمْ كَهَيْئَةِ الْعَبـْدِ
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:
दूसरों के दोषों को किसी स्वामी या प्रभु की दृष्टि से नहीं, बल्कि एक टूटे हुए हृदय वाले व्यक्ति की दृष्टि से देखें।
तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 295
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