हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, " डॉ. शहीद बहिश्ती के जीवन की एक याद अपने प्रिय पाठको के लिए प्रस्तुत की जा रही है।"
बार-बार मैंने देखा है कि
कुछ लोग जुमे के दिन अपने काम के लिए डॉ. बहिश्ती से मिलने आते थे और उनकी राय लेना चाहते थे।
लेकिन डॉ. बेहिश्ती उन्हें कहते थे:
"जुमे का दिन मेरे परिवार के लिए है।"
हवालाः किताब सीर ए डॉ शहीद बहिश्ती, पेज 70
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