रविवार 11 मई 2025 - 22:22
16 मई अमेरिका मुरदाबाद दिवास / इजराइल इस्लामी दुनिया के लिए खतरा है, जाकिर अली शेख

हौज़ा /इमाम जैनुल आबेदीन इंस्टीट्यूट ऑफ कुरानिक स्टडीज एंड अहले बैत (अ) मेहराबपुर सिंध के केंद्रीय महासचिव जाकिर अली शेख ने अपने बयान में कहा है कि 16 मई वैश्विक अहंकार और उपनिवेशवाद के खिलाफ उठ खड़े होने का दिन है। आज इजरायल का अस्तित्व इस्लामी दुनिया के लिए खतरा बन गया है। अगर अरब देश इन साजिशों का शिकार न होते तो आज मानवता का अन्यायपूर्ण खून नहीं बहा होता।

हौजा न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इमाम जैनुल आबेदीन इंस्टीट्यूट ऑफ कुरानिक स्टडीज एंड अहले बैत (अ) मेहराबपुर सिंध के केंद्रीय महासचिव जाकिर अली शेख ने अपने बयान में कहा है कि 16 मई वैश्विक अहंकार और उपनिवेशवाद के खिलाफ उठ खड़े होने का दिन है। आज इजरायल का अस्तित्व इस्लामी दुनिया के लिए खतरा बन गया है। अगर अरब देश इन साजिशों का शिकार न होते तो आज मानवता का अन्यायपूर्ण खून नहीं बहा होता।।

जाकिर अली शेख ने कहा कि 16 मई को अमेरिका ने जबरन यूएन से इजराइल के नापाक वजूद को मंजूरी दिलवाई थी, जिस पर अल्लामा मिल्लत जाफरिया के शहीद नेता अल्लामा आरिफ हुसैन अल-हुसैनी (र) ने 16 मई को अमेरिका मुरदाबाद दिवस मनाने का एलान किया था। हम आज इस महान शख्सियत के आदेश पर यह दिन मनाते हैं। वह सिर्फ एक धार्मिक विद्वान नहीं थे, बल्कि मुस्लिम उम्माह के सच्चे प्रवक्ता थे।

उन्होंने आगे कहा कि शहीद आरिफ हुसैनी (र) ने हमें बताया कि जो कोई भी अमेरिका को अपना दोस्त मानता है वह इस्लाम का दुश्मन है! यह वाक्य सिर्फ एक राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि एक वैचारिक स्थिति है। अमेरिका ने पूरी दुनिया में मुसलमानों को बांटा, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, लेबनान, यमन और खास तौर पर फिलिस्तीन को जुल्म और बर्बरता का शिकार बनाया और हर जुल्म को संरक्षण देते हुए इस्राईल को अपनी नाजायज औलाद घोषित किया। इमाम जैनुल आबिदीन संस्थान के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि जाफरिया राष्ट्र के शहीद नेता अल्लामा आरिफ हुसैन अल-हुसैनी ने कहा था कि हम सिर्फ मातम मनाने वाले राष्ट्र नहीं हैं, हम एक उभरता हुआ राष्ट्र हैं, इसीलिए उन्होंने 16 मई को अमेरिका मुरदाबाद दिवस घोषित किया, ताकि हम अपने दिल, जुबान और कर्मों से इन साम्राज्यवादी शक्तियों की निंदा करें। उन्होंने आगे कहा कि आज हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस दिन सिर्फ विरोध प्रदर्शन या नारे लगाने से संतुष्ट न हों, बल्कि हम संकल्प लें कि आज से हम अत्याचारी को अत्याचारी कहना सीखेंगे, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, और शहीद आरिफ हुसैनी के विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम उम्माह की एकता भी आज एक अहम जरूरत है, आज दुनिया के दबे-कुचले लोग हमारी तरफ देख रहे हैं। फिलिस्तीन, यमन, सीरिया, लेबनान आदि सभी की निगाहें मुस्लिम उम्माह पर हैं। शहीद नेता जी कहा करते थे: जब तक हम एक राष्ट्र नहीं बन जाते, अहंकार हमें टुकड़े-टुकड़े करता रहेगा, इसलिए आज हमें न केवल विरोध करना है, बल्कि वैचारिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा भी करनी है।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha