हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम मंसूरी ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के संवाददाता से बात करते हुए नौजवान आबादी और नस्ल की बक़ा (बचाव) के महत्व पर ज़ोर दिया और कहा कि इस अहम मसले का एक बुनियादी पहलू यह है कि नौजवानों के लिए शादी को आसान बनाया जाए।
उन्होंने कहा,शादी सिर्फ एक निजी मामला नहीं है, बल्कि एक सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है, और हमारे सामाजिक फ़र्ज़ों में से एक यह है कि हम शादी के मामलों में आसान बनाए।
शहर रज़न के इमाम-ए-जुमा ने आसान निकाह के लिए तीन अहम उसूलों की तरफ इशारा करते हुए कहा,कम मेहर, सादा दहेज और गैरज़रूरी रस्मों का खात्मा ये वो कारण हैं जो नौजवानों के लिए शादी को मुमकिन बना सकता हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कभी-कभी सख्त शर्तें और महंगे ख़र्चे नौजवानों को शादी से रोकते हैं या उन्हें इसे टालने पर मजबूर कर देते हैं, जबकि अगर इन मामलों में आसानी पैदा की जाए तो बहुत से नौजवान शादी के क़ाबिल हो सकते हैं।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मंसूरी ने माता-पिता, सामाजिक ज़िम्मेदारों और बुज़ुर्गों से मुख़ातिब होते हुए कहा,ज़रूरत इस बात की है कि आसान शादी की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए, और शादी के मादी और दिखावटी पहलुओं के बजाय इसके असल मक़सद और साझे जीवन की शुरुआत को अहमियत दी जाए।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा,अगर हम इस सोच को समाज में मजबूत कर दें, तो न सिर्फ शादियों की दर में इज़ाफ़ा होगा, बल्कि पारिवारिक व्यवस्था भी मजबूत होगी और समाज को बहुत सी सामाजिक समस्याओं से बचाया जा सकेगा।
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