हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आस्ताने क़ुद्स रिज़वी के मुतवल्ली हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अहमद मरवी ने इमाम रज़ा अ.स. के हरम के विलायत हॉल में इराक़ के समर्रा शहर के मोक़िबदारों से मुलाक़ात के दौरान कहा,
हज़रत मासूमीन (अ.स.) की ख़िदमत एक बहुत बड़ी नेमत है।
जिसकी असली क़द्र क़यामत के दिन सामने आएगी। अहलेबैत अ.स.की ख़िदमत का मतलब बहुत व्यापक और सार्वभौमिक है यह किसी एक ख़ास जगह या भौगोलिक सीमा में क़ैद नहीं। हर वह अमल जो ख़ालिस नियत से इमामों की रज़ा और ख़ुशनूदी के लिए अंजाम दिया जाए उसी महान ख़िदमत में शामिल है।
उन्होंने कहा,अहलेबैत (अ.स.) की ख़िदमत केवल विशेष कपड़े पहनकर पवित्र मज़ारों में निर्धारित जिम्मेदारियां निभाने तक सीमित नहीं है, बल्कि हर वह नेक काम जो इमामों के क़ुर्ब की नीयत से किया जाए, वही इस ख़िदमत का एक नमूना है।
आस्ताने क़ुद्स रिज़वी के मुतवल्ली ने ज़ोर देते हुए कहा,हर ज़माने और हर जगह पर इंसान अहलेबैत (अ.स.) की सेवा के रास्ते पर चल सकता है, क्योंकि हज़रत मासूमीन (अ.स.) हमारे आमाल के गवाह हैं और वह किसी समय या स्थान की हदों में सीमित नहीं। इसलिए उनकी सेवा का मैदान सिर्फ हरम के रौशन सहनों तक नहीं, बल्कि पूरी ज़मीन इस सेवा का मैदान बन सकती है।
हुज्जतुल इस्लाम मुरवी ने कहा,अमेरिका ने कभी भी इराकी जनता की भलाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उसने सद्दाम को इसलिए नहीं गिराया कि वह ज़ुल्म को खत्म करना चाहता था बल्कि उसके पीछे सिर्फ अपने आर्थिक स्वार्थ थे।
उन्होंने आगे कहा,वैश्विक साम्राज्यवाद का मुक़ाबला करने का एकमात्र रास्ता 'उम्मते इस्लामी का इत्तेहाद' (इस्लामी उम्मत की एकता) है।
ईरान और इराक जैसे अहम इस्लामी मुल्कों में उम्मते इस्लामी की एकता, दूरअंदेशी (बसीरत) और जागरूकता, वैश्विक साम्राज्यवादी ताक़तों की वर्चस्ववादी साज़िशों को नाकाम करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
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