गुरुवार 5 जून 2025 - 09:56
मदरसे हमारी पहचान हैं, हम इसे मिटने नहीं देंगे: मौलाना अरशद मदनी

हौज़ा / जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि मदरसे हमारी धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा हैं और हम इस पहचान को कभी मिटने नहीं देंगे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि मदरसे हमारी धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा हैं और हम इस पहचान को कभी मिटने नहीं देंगे।

उन्होंने यह बात उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के सराय मीर क्षेत्र में आयोजित "अखिल भारतीय मदरसा सुरक्षा सम्मेलन" को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह महज एक पारंपरिक समागम नहीं है, बल्कि मदरसों, उनके भविष्य की रक्षा करने और मौजूदा गंभीर स्थिति के संदर्भ में रणनीति तय करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसे सिर्फ शिक्षण संस्थान नहीं बल्कि आध्यात्मिक स्कूल हैं, जहां नई पीढ़ी को बौद्धिक और नैतिक प्रशिक्षण दिया जाता है और उन्हें देश और राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि आज जिन मदरसों को अवैध घोषित कर बंद किया जा रहा है, उन्होंने ही ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई थी। मौलाना अरशद मदनी ने कुछ राज्य सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम और हरियाणा समेत कई राज्यों में मदरसों और मस्जिदों के खिलाफ उठाए जा रहे कदम धार्मिक आधार पर हैं, जो भारत के संविधान की भावना के खिलाफ हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसा भेदभाव क्यों? जबकि संविधान हर नागरिक को समान अधिकार और समान अवसर प्रदान करता है।

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