बुधवार 11 जून 2025 - 14:35
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन;शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह पर तैयारियां पूरी, ईरान, इराक और लेबनान में इल्मी गतिविधियों का आगाज़

हौज़ा / ओमना अलरसूल" अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सचिव हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन रज़ा इस्कंदरी ने घोषणा की है कि शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के नाम पर आयोजित होने वाले वैज्ञानिक एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के शोध पत्रों के विषयों को अंतिम रूप दे दिया गया है, और इराक, लेबनान तथा ईरान में धार्मिक संस्थानों के साथ सहयोग शुरू कर दिया गया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ओमना अलरसूल" अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सचिव हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन रज़ा इस्कंदरी ने घोषणा की है कि शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के नाम पर आयोजित होने वाले वैज्ञानिक एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के शोध पत्रों के विषयों को अंतिम रूप दे दिया गया है, और इराक, लेबनान तथा ईरान में धार्मिक संस्थानों के साथ सहयोग शुरू कर दिया गया है। 

सम्मेलन का उद्देश्य,शहीद नसरुल्लाह के व्यक्तित्व के विभिन्न वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को उजागर करना चार प्रमुख समितियाँ गठित की गई हैं: शोध पत्र, वैज्ञानिक सत्र, वैज्ञानिक साक्षात्कार और शोध पत्रिकाएँ। 

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग,इराक,नजफ अशरफ में धार्मिक नेताओं, शिक्षकों और पवित्र स्थलों के प्रतिनिधियों के साथ सफल वार्ता के बाद इराकी धार्मिक संस्थान पूर्ण सहयोग के लिए तैयार हैं।

लेबनान एक विशेष वैज्ञानिक समूह गठित किया गया है जो शहीद नसरुल्लाह के जीवन से संबंधित प्रामाणिक सामग्री उपलब्ध करा रहा है। भाषाई पहल,अरबी भाषा में सामग्री के त्वरित प्रकाशन पर जोर दिया गया है ताकि लेबनान में शैक्षणिक और मीडिया स्तर पर व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हो सके। 

समन्वय योजना, सम्मेलन के सभी वैज्ञानिक, शोध और मीडिया कार्यक्रमों को सात मुख्य धाराओं में समन्वित किया जा रहा है ताकि धार्मिक शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक संबंध स्थापित हो सकें। 

ईरान, इराक और लेबनान में सम्मेलन संबंधी गतिविधियों को त्वरित रूप से पूरा करने पर जोर दिया गया है।सभी शोध पत्रों और सत्रों के ढाँचे को जल्द से जल्द अंतिम रूप देकर व्यावहारिक चरणों की शुरुआत की जाएगी। 

यह सम्मेलन शहीद नसरुल्लाह की विरासत को संजोने और उनके विचारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है तीन देशों के धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग से इस आयोजन को और भी प्रभावी बनाने की उम्मीद है।

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