हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इजरायली सेना के एक अधिकारी, जो "कैप्टन" के पद पर है और गाजा में आगे सैन्य सेवा से इनकार कर चुका है ने ब्रिटिश अखबार टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, मैं इस कभी न खत्म होने वाले युद्ध, निर्दोष आम नागरिकों की मौतों और युद्धबंदियों के साथ हो रहे बेरहम व्यवहार से डर गया हूँ।
उसने कहा,नैतिक रूप से मैं इस युद्ध में और शामिल नहीं हो सकता, जब तक कि इस स्थिति में कोई बुनियादी बदलाव नहीं आता।
इजरायली अधिकारी ने स्वीकार करते हुए कहा, हमें बताया जाता है कि गाजा में मानवीय त्रासदी को रोकना इस ऑपरेशन का उद्देश्य है, लेकिन जो कुछ हम रोज देख रहे हैं, वह इस दावे से बिल्कुल अलग है।उसने आगे कहा,हमें बताया गया कि इस युद्ध का मकसद हमास को खत्म करना है, लेकिन हकीकत यह है कि हमास आज भी मौजूद है और खत्म नहीं हुआ।
इसी कड़ी में इजरायली सेना के रिजर्व यूनिट (संचित सेना) में काम करने वाले एक सामाजिक मामलों के विशेषज्ञ ने भी टाइम्स से बात करते हुए कहा,मैंने राफा में सिर्फ आग, मौत और लोगों का जबरन विस्थापन देखा। इजरायली सेना ने अब गाजा के लोगों को इंसान समझना ही छोड़ दिया है।
इस विशेषज्ञ का कहना था,रिजर्व सैनिकों की मानसिक स्थिति सबसे खराब स्तर पर पहुँच चुकी है, और सैन्य सेवा में स्वेच्छा से भाग लेने वालों की संख्या आधी रह गई है।
ये स्वीकारोक्तियाँ न सिर्फ इजरायली सेना के भीतर बढ़ती बेचैनी और आंतरिक मतभेदों की ओर इशारा करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि गाजा पर जारी हमलों को खुद इजरायली सेना के कुछ अधिकारी भी अत्याचारी और अमानवीय मानने लगे हैं।
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