हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुवैत में 47 वर्षों से स्थापित मुहर्रम के पवित्र महीने के कद़ीमी एंव तारीखी मरकज़ी मजालिस रुमैथिया के उम्म सलमा मदरसा में आयोजित की गईं, जिसमें कुवैत और पाकिस्तानी उपमहाद्वीप के सभी धर्मगुरुओं और विद्वानों ने भाग लिया।
मजलिसो को नई दिल्ली, भारत से अहले बैत के उपदेशक हुज्जत-उल-इस्लाम सय्यद असकरी जैदी और लाहौर, पाकिस्तान से अहले बैत के उपदेशक हुज्जतुल-इस्लाम सय्यद अहमद इकबाल रिजवी के साथ-साथ कुवैत मे निवासी विद्वान हुज्जतुल इस्लाम मिर्जा असकरी हुसैन और हुज्जतुल-इस्लाम सय्यद वसी हैदर नकवी ने संबोधित किया।
विद्वानों ने इमाम, पैगंबर के नवासे, बुतूल के बेटे, अली मुर्तजा के बेटे इमाम हुसैन (अ) और उनके परिवार और साथियों के अद्वितीय बलिदानों का उल्लेख किया।
भारतीय उपमहाद्वीप और कुवैत से इमाम हुसैन (अ) की अज़ादारी करने वाले हजारों लोग मजलिसो में शामिल हुए और सय्यदा फातिमा ज़हरा (स) और अल्लाह के रसूल (स) को श्रद्धांजलि दी।
उपदेशकों ने सत्य की खातिर उस समय की सबसे अत्याचारी सरकार के खिलाफ़ इमाम हुसैन (अ) के आंदोलन का ज़िक्र किया और दृढ़ता का पाठ पढ़ाया।
इन सभाओं का आयोजन कुवैती मोमेनीन के संगठन द्वारा किया गया था, जबकि मरसिया और नौहा मातमी दस्ता अज़ा दुआ-ए-ज़हरा (स) द्वारा किया गया था।
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