हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अज़ा खाना अबू तालिब महमूद पुरा अमलू मुबारकपुर भारत, वार्षिक तीन दिवसीय अय्यामे फातिमिया की मजलिस का 10वां दौर हाशमी समूह अमलू द्वारा भव्य पैमाने पर आयोजित किया गया, इन मजलिसों को प्रसिद्ध खुतबा ने संबोधित किया।
किसी भी व्यक्तित्व के बारे में जानने के लिए सबसे पहले उसका नाम और वंश, वह किस तरह का व्यक्ति है, यह जानना जरूरी है। नाम एक ऐसी चीज़ है जिससे किसी व्यक्ति और व्यक्तित्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। इमाम जाफ़र सादिक (अ) की हदीस के अनुसार, फातिमा (स) के नौ (9) नाम हैं, कहा जाता है कि फातिमा नाम इसलिए दिया गया क्योंकि अल्लाह की मख़लूक आपको पहचानने में असमर्थ हैं।
ये विचार हाशमी ग्रुप अमलू मुबारकपुर, आज़मगढ़ की ओर से पिछले साल की तरह बड़े पैमाने पर अबू तालिब महमूदपुरा अमलू में आयोजित वार्षिक तीन दिवसीय मजलिस के 10वें दौर में मौलाना सय्यद रज़ा हैदर काज़मी कुमी, मुज़फ़्फ़रनगर ने व्यक्त किए।
दूसरी मजलिस को संबोधित करते हुए हुज्जतुल-इस्लाम मौलाना सैयद ज़मीर-उल-हसन रिज़वी, उस्ताद जामिया जावदिया बनारस ने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा अलैहिस्सलाम अल्लाह का रहस्य है, जिसे समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। जिस तरह शबे क़द्र (कुरआन सामित) के नुजूल का ज़र्फ़ है, क्योंकि इस रात मे कुरान का नुजूल हुआ, इसी तरह, हज़रत सिद्दीका कुबरा फातिमा ज़हरा(स) सभी इमामो के लिए जऱर्फ और केंद्र है।
मौलाना ने कहा कि हमें उस पवित्र व्यक्ति के शब्दों का पालन करना चाहिए जिस पर हमने विश्वास किया है और फिर हज़रत फातिमा की यह हदीस सुनाई: "हजरत फातिमा ज़हरा (स) ने फ़रमाया: मुझे आपकी दुनिया में तीन चीजें पसंद हैं: (1) क़ुरआन की तिलावत (2) रसूले खुदा (स) चेहरे की ज़ियारत (3) अल्लाह की खातिर खर्च करना। फातिमा की शहादत के सबूत में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहाः दरअसल, फातिमा ज़हरा सिद्दीका और शहीदा इस दुनिया से रुखसत हो चुकी हैं।
हुज्जतुल-इस्लाम मौलाना सय्यद सैफ आबिदी जौनपुरी ने तीसरी मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि पैगंबर के बेटे हजरत इमाम हसन असकरी (अ) कहते हैं: "नहनु हुजाजुल्लाह अला खलकेह व जदततुन्ना फातिमा हुज्जतुल्लाह अलैना" हम लोगो पर अल्लाह की हुज्जत है और हमाराी जद्दा "मज्दा फातिमा हम पर अल्लाह की हुज्जत है" हज़रत फातिमा अपने बोलने के तरीके, और दिखने के तरीके में इस्लाम के पैगंबर से काफी मिलती-जुलती थीं। इस्लाम के पैगम्बर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स) ने कहा: जिसने भी फातिमा को पीड़ा दी, उसने मुझे पीड़ा दी, और जिसने मुझे पीड़ा दी, उसने अल्लाह को पीड़ा दी, और अल्लाह फातिमा की खुशी से प्रसन्न होता है, अल्लाह फ़ातिमा के क्रोध से नाराज होता है।
अंत में हजरत फातिमा ज़हरा (स) दर्दनाक शहादत का वर्णन किया गया।
अज़ाए फातेमी में हसन इस्लामिक रिसर्च सेंटर अमलू के संस्थापक और संरक्षक मौलाना इब्न हसन अमलवी, मदरसा इमामिया अमलू के प्रिंसिपल मौलाना शमीम हैदर मारूफी, मदरसा इमामिया अमलू के शिक्षक मौलाना मुहम्मद महदी समेत बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए।
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