हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम के इमाम जुमा और हज़रत मासूमा (स) की दरगाह के मुतावल्ली आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद सईदी ने कहा है कि आशूरा सिर्फ़ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक सतत आंदोलन और एक महान संस्कृति है जो सत्य, स्वतंत्रता और विद्रोह के संदेश को जीवित रखती है।
उन्होंने कहा कि कर्बला का सबक यह है कि हर दिन आशूरा हो और हर ज़मीन कर्बला हो। ईरानी राष्ट्र ने इमाम हुसैन के नारे "हैहात मिन्ना ज़िल्ला" को अपना नारा बनाया है और विलायत ए फ़क़ीह का पालन करते हुए यज़ीदी विचारों के विरुद्ध दृढ़ता से खड़ा है।
आयतुल्लाह सईदी ने रज़ा शाह पहलवी के माध्यम से बुर्क़ा उतारने के इतिहास का वर्णन करते हुए कहा कि यह पश्चिम के सांस्कृतिक आक्रमण का ही एक विस्तार था जिसने महिलाओं के इस्लामी बुर्के को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि शहीद आयतुल्लाह सईदी ने हमेशा सांस्कृतिक जिहाद पर ज़ोर दिया और धर्म के ज्ञान और आचरण को सबसे महत्वपूर्ण इच्छा माना।
क़ुम के इमाम जुमा ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा क्रांति के सर्वोच्च नेता के अपमान की कड़ी निंदा की और उन धार्मिक अधिकारियों के फ़तवे का धन्यवाद किया जिन्होंने इस अपमान को युद्ध घोषित किया। उन्होंने कहा कि दुश्मनों की साज़िशें नाकाम होंगी और ईश्वर का प्रकाश कभी शांत नहीं होगा।
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