हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,कुम अल मुकद्देसा के इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने अपने जुमा के खुत्बे में सरकार से मांग की है कि वह ईरान और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बीच सहयोग को निलंबित करने पर अमल करे, क्योंकि यह फैसला जनता की इच्छा के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने ईरान के गोपनीय दस्तावेज़ों को इज़राइल के हवाले करके ईरान के साथ धोखा किया है, इसलिए अब इस संस्था के साथ सहयोग बंद करना पूरे देश की मांग है।
उन्होंने कुरान की सूरह तौबा की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि अल्लाह तआला ने सच्चे ईमान वालों को दीन की खातिर कुर्बानियों का बेहतरीन बदला देने का वादा किया है। उनके अनुसार, यह वादा सिर्फ शुरुआती मुसलमानों से नहीं, बल्कि हर युग के मोमिनों से है, जो दीन के लिए संघर्ष करते हैं चाहे वह सैन्य, सांस्कृतिक, आर्थिक या राजनीतिक मोर्चे पर हो।
आयतुल्लाह सईदी ने मुहर्रम के महीने को इस्लामी क्रांति के इतिहास में निर्णायक बताया और कहा कि इस्लामी क्रांति की शुरुआत और सफलता इसी महीने की कुर्बानियों से जुड़ी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कर्बला की घटना सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि ज़ालिमों के ख़िलाफ़ हमेशा जारी रहने वाले संघर्ष का प्रतीक है।
उन्होंने ईरान और इज़राइल के बीच हालिया तनाव का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसे युद्धविराम कहा जा सकता है, शांति" नहीं। उनके मुताबिक, ईरान ने अपने बचाव में न सिर्फ इज़राइल को करारा जवाब दिया, बल्कि अमेरिका की झूठी श्रेष्ठता को भी चुनौती दी।
अंत में, आयतुल्लाह सईदी ने इस्लामी क्रांति के रहबर (सर्वोच्च नेता) की अगुआई को हालिया सफलताओं का असली कारण बताते हुए देश और नेतृत्व दोनों को मुबारकबाद दी। साथ ही, उन्होंने न्यायपालिका से मांग की कि देश की सुरक्षा के ख़िलाफ़ साजिश रचने वाले जासूसों को सख़्त सज़ा दी जाए।
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