हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम शेख़ अली नजफ़ी ने हाल ही में शहीद होने वाले इस्लामी गणराज्य ईरान के शहीदों की याद में रख़ी गई मजलिस-ए-अज़ा में शिरकत की और अपनी ताज़ियत व हमदर्दी का इज़हार किया।शहीदों के परिवारों और ईरानी अवाम से दिली ताज़ियत का इज़हार किया।
उन्होंने कहा,पवित्र ख़ून, जो सत्य और हक़ के मार्ग में बहाया गया, वास्तव में वह इमाम हुसैन अ.स. की उस महान परंपरा की निरंतरता हैजो अत्याचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठ खड़े होने और प्रतिरोध का प्रतीक है।
नजफ़े अशरफ़ के मस्जिद हनाना में एक रूहानी और पुरअसर माहौल में मजलिस-ए-अज़ा का इनेक़ाद हुआ, जिसमें मरज-ए-मुस्लिमीन व जहाने तशय्यो हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी के बेटे और केंद्रीय कार्यालय के निदेशक हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी ने शिरकत की।
यह मजलिस इमाम हुसैन (अ:स) और उनके अहलेबैत (अ:) की शहादत की याद में आयोजित की गई थी, जिसमें शुहदाए कर्बला की क़ुर्बानियों को मोहब्बत और अकीदत के साथ याद किया गया। इसी मजलिस में हाल ही में शहीद होने वाले ईरानी शहीदों की अरवाह के लिए भी दुआ और फ़ातिहा ख़्वानी की गई।
शेख़ अली नजफ़ी ने मजलिस-ए-अज़ा में शिरकत की,जहाँ उन्होंने शहीदों के परिजनों और ईरानी जनता के प्रति दिली संवेदना व्यक्त की।उन्होंने इन शहीदों की क़ुर्बानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, इस्लामी गणराज्य ईरान के उन रुख़ों की सराहना की जो उसने उम्मत-ए-मुस्लिम के महत्वपूर्ण मुद्दों के समर्थन में अपनाए, खासतौर पर ज़ायोनी ग़ासिब हुकूमत के मुकाबले डटकर खड़े होने के सिलसिले में।
उन्होंने इस ओर इशारा किया कि यह पवित्र ख़ून,, जो सत्य और हक़ के मार्ग में बहाया गया, दरअसल इमाम हुसैन अ.स. की उस महान परंपरा की निरंतरता है जो अत्याचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़े होने और प्रतिरोध का प्रतीक है।
इस मजलिस-ए-अज़ा में कई उलमा-ए-केराम, हौज़ा ए इल्मिया के छात्रों और बड़ी तादाद में मोमेनीन शामिल हुए।मजलिस का इख़्तेताम एक पुर-ख़लूस दुआ के साथ हुआ जिसमें उम्मत-ए-मुस्लेमा से बलाओं के ख़ात्मे, दुनिया भर के मज़लूमों की मदद, और शआएर-ए-हुसैनीया की हर साल एहया की तौफ़ीक़ की दुआ की गई यहां तक कि इमाम मेहदी अल मुन्तज़र अजलल्लाहु फ़रजहुश शरीफ़ के ज़हूर मुबारक का वकत आजाए।
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