हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, खातून-ए-जन्नत, बिंत-ए-रसूल-ए-खुदा, हज़रत फातिमा-तुज़ ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत की मुनासबत से हौज़ा-ए-इल्मिया इमाम हादी अलैहिस्सलाम, ऊड़ी जम्मू व कश्मीर की जानिब से एक पुर-विकार जुलूस-ए-अज़ा बरआमद हुआ; जिसमें उलेमा-ए-किराम, शिक्षको, छात्रो और मकामी मोमिनीन की बड़ी तादाद ने शिरकत की।
जुलूस-ए-अज़ा हौज़ा-ए-इल्मिया इमाम हादी (अ) से बरआमद हुआ और मदरसे की नई इमारत से गुज़रता हुआ इमाम बारगाह-ए-अबुल फ़ज़्ल अल-अब्बास (अ) में इख़्तिताम पज़ीर हुआ। इस मौक़े पर उलेमा-ए-किराम ने हज़रत ज़हरा (अ) की सीरत-ए-तय्यबा पर पुर-असर बयानात पेश किए।
जुलूस में मदरसे के तलबा ने सियाह परचमों के साथ नौहा व मातम किया और अकीदत व एहतेराम के साथ शिरकत कर के बीबी-ए-दो आलम (अ) को ख़िराज-ए-अकीदत पेश किया।
जुलूस-ए-अज़ा के इख़्तिताम पर आगा सय्यद दस्त अली नक़वी ने तमाम हाज़रीन का शुक्रिया अदा किया और कहा कि हज़रत ज़हरा (अ) की सीरत-ए-तय्यबा हर तालिब-ए-इल्म और मोमिना के लिए मशअल-ए-राह है; लिहाज़ा हमें चाहिए कि उनकी इबादत, इफ़्फ़त, हया और विलायत से वाबस्तगी को अपनी अमली ज़िंदगी के लिए नमूना-ए-अमल क़रार दें।
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