हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम गुरुही, फ़ारियाब के इमाम जुमआ ने जुमे के ख़ुत्बे में इमाम सज्जाद अ.स.की शहादत की पूर्व संध्या पर शोक व्यक्त किया और इमाम सज्जाद (अ.स.) के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा,कोई भी छोटा काम जो तक़्वा के साथ किया जाए, उसे कम नहीं समझना चाहिए। उनके कथन के अनुसार, वह कार्य जो तक़्वा के साथ किया जाए, वह अल्लाह के दरबार में स्वीकार्य होता है और जो चीज़ अल्लाह को स्वीकार्य हो उसे कम नहीं समझा जाता।
फ़ारियाब के इमाम जुमआ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि तक़्वा कार्यों के मूल्यांकन का मुख्य मापदंड है और कहा, इमाम सज्जाद अ.स. मक़ाम-ए-मोअज़्ज़म रहबरी और 12 दिन के पवित्र रक्षा युद्ध में मुजाहिदीन ने जो किया, उसे कम नहीं समझना चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम गुरुही ने इस्लामी क्रांति के इतिहास को याद करते हुए कहा,ईरानी राष्ट्र ने पिछले 47 वर्षों में दो पवित्र रक्षा युद्धों का अनुभव किया है पहला 8 साल का पवित्र रक्षा युद्ध और दूसरा 12 दिन का पवित्र रक्षा युद्ध।
उन्होंने कहा, दोनों ही मामलों में दुश्मन ने अपने समर्थकों की मदद से और पूर्ण सैन्य साजो सामान के साथ ईरान पर हमला किया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने 12 दिन के पवित्र रक्षा युद्ध के कुछ सैन्य और बौद्धिक लाभों का उल्लेख करते हुए कहा, वली-ए-फ़क़ीह और नेतृत्व की समाज के मार्गदर्शन, राष्ट्रीय एकता और प्रतिरोध की भावना को मजबूत करने में अद्वितीय और केंद्रीय भूमिका इस दौर के महत्वपूर्ण लाभ रहे हैं। ये लाभ पैगंबर-ए-इस्लाम स.अ.व. के मदीना में दस साल के शासन की याद दिलाते हैं।
फ़ारियाब ने आगे कहा,सैन्य और मिसाइल ढांचे को मजबूत करना 12 दिन के पवित्र रक्षा युद्ध के अन्य परिणाम हैं। अमेरिका और सियोनिस्ट शासन के विश्वासघात का प्रमाण भी इस दौर की उल्लेखनीय बातों में से एक था।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, हालांकि इन प्यारे लोगों की शहादत दुखद है, लेकिन इसने सत्य के मोर्चे की निरंतरता में बाधा नहीं डाली, बल्कि इस मोर्चे को और मजबूत किया है।
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