हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , शहीद अलमुल होदा (रह) के कोर्स से जुड़े कुछ छात्रों ने आज शहीद अली हाशिमी की यादगार स्थल पर हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मूसवी फ़र्द, ख़ुज़िस्तान में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि से मुलाकात की।
इस मुलाकात की शुरुआत ज़ुहर और अस्र की नमाज़-ए-जमाअत से हुई, जिसकी इमामत हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मूसवी फ़र्द, अहवाज़ के इमाम-ए-जुमआ ने की, और इसके बाद क़ुरान-ए-पाक की आयतों का तिलावत किया गया।
इसके अलावा, हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मूसवी फ़र्द ने शरई अहकाम जैसे सही वुज़ू, नमाज़ का सही तरीका और वक्त पर नमाज़ पढ़ने तथा जमाअत की अहमियत पर रौशनी डाली।
अहवाज़ के इमाम-ए-जुमा ने मारिफत और रूहानी तरक्की के संदर्भ में ज़ोर देते हुए कहा, किशोरावस्था और जवानी के दौर में अल्लाह से मुनाजात का खास महत्व है।
ख़ुज़िस्तान में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि ने 12 दिनों की जारहाना जंग का हवाला देते हुए कहा, हालांकि इस्लामी ईरान के पास सैन्य ताकत है, लेकिन अहले बैत अ.स. और खास तौर पर इमाम-ए-ज़माना अ.ज. से ताल्लुक ज़्यादा अहम है।
उन्होंने आगे कहा,सियोनी हुकूमत के चार बड़े मकसद थे, लेकिन वह किसी में भी कामयाब नहीं हो सका। अगर दुश्मन को शिकस्त न हुई होती और ईरान ने युद्धविराम की दरख्वास्त की होती, तो क्या वह राज़ी होते? या फिर ग़ाज़ा की तरह इस्लामी ईरान को तबाह कर देता?
आखिर में, शहीद अलमुल होदा (रह) के कोर्स में शामिल छात्रों ने अलगअलग मवज़ूआत पर सवाल किए, जिनका अहवाज़ के इमाम-ए-जुमा ने जवाब दिया।
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