हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "बिहार उल अनवार" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
لا یَصيرُ العَبدُ خالِصاً لِلّهِ عزّوجَلَّ حتّى يَصيرَ المَدحُ وَ الذَّمُّ عِندَهُ سَواءً.
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः
एक बंदा अल्लाह तआला की उपस्थिति में इख़लास के स्तर तक तब तक नहीं पहुँच सकता जब तक कि लोगों की प्रशंसा और निंदा उसके लिए समान न हो जाएँ।
बिहार उल अनवार, भाग 73, पेज 294
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