۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
तेहरान

हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आज तबरीज़ के लोंगों से मुलाक़ात में, आज़रबाइजान के अवाम को एकता व आज़ादी का ध्वजवाहक बताया। उन्होंने इस साल की 11 फ़रवरी को, तारीख़ी दिन बनाने पर ईरानी क़ौम की अज़मत को सलाम उन्होंने राष्ट्र का भरपूर समर्थन किया,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आज तबरीज़ के अवाम से मुलाक़ात में, आज़रबाइजान के अवाम को एकता व आज़ादी का ध्वजवाहक बताया। उन्होंने इस साल की 11 फ़रवरी को, तारीख़ी दिन बनाने पर ईरानी क़ौम की अज़मत को सलाम किया और बल दिया कि यह हक़ीक़ी, पुरजोश और अर्थपूर्ण कारनामा क़ौम के इंक़ेलाब के रास्ते से न हटने और उसकी दृढ़ता का नतीजा है।

उन्होंने कहा कि तरक़्क़ी का यह ठोस रास्ता क़ौमी एकता और मुश्किलों के बारे में रूढ़ीवादी नहीं बल्कि इंक़ेलाबी निगाह के साथ यानी उस हिम्मत के सहारे जिससे कारनामे अंजाम पाए, निरंतर जारी रहेगा और आर्थिक विकास तथा मुश्किलों के हल ख़ास तौर पर इन्फ़लेशन की मुश्किल को दूर करने के लिए सभी अधिकारियों की जी तोड़ मेहनत, उसका रास्ता समतल करेगी।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 11 फ़रवरी को क़ौम की ओर से उठने वाले क़ीमती क़दम के मुख़्तलिफ़ आयामों की वज़ाहत की।
उन्होंने दुश्मनों के घोर प्रोपैगंडे, अवाम की रोज़मर्रा की साफ़ महसूस की जाने वाली मुश्किलों और हौसला तोड़ने वाले दूसरे तत्वों का ज़िक्र करते हुए कहा कि ईमान और पहचान से मालामाल अवाम ने इन सभी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया और प्यारे वतन के पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक हर जगह सभी लोग मैदान में निकल आए और अपनी आवाज़ पूरी दुनिया के कानों तक पहुंचा दी। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ अल्लाह ही क़ौम के इस अज़ीम कारनामे का सही मानी में शुक्रिया अदा कर सकता है।


उन्होंने क़ौम के ऐतिहासिक शनिवार के जुलूस को क़ौमी प्रतिरोध के जारी रहने की मिसाल बताया और दूसरी क्रांतियों के अस्ली रास्ते से धीरे धीरे भटक जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस्लामी इंक़ेलाब में भी कुछ लोग मुख़्तलिफ़ वजहों से इंक़ेलाब के सीधे रास्ते से हट गए और ख़ुद इंक़ेलाब और उसके मक़सद तक के मुख़ालिफ़ हो गए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आगे कहा कि ऐसे लोगों के बरख़िलाफ़, क़ौम थकन व नाउम्मीदी का शिकार हुए बिना, दुश्मन के हमलों, धमकियों और धौंस से डरे बिना, अपनी पहचान, शख़्सियत और अज़मत को संभाले सीधे रास्ते पर चलती रही और यही रास्ता इस साल भी 11 फ़रवरी को पूरे मुल्क की सड़कों तक पहुंचा और मुख़्तलिफ़ जज़्बों के साथ अर्थपूर्ण प्रतिरोध और ज़िद्दी दुश्मन के मुक़ाबले में दृढ़ता का प्रदर्शन किया गया।
उन्होंने इस बात का भी ज़िक्र किया कि किस तरह दुश्मन और देश के भीतर कुछ तत्व इस कोशिश में लगे हैं कि क़ौम का मज़बूत इरादा कमज़ोर पड़ जाए और वो इंक़ेलाब को भूल जाए। उन्होंने कहा कि पिछले पतझड़ के हंगामों का मुख्य लक्ष्य यह था कि अवाम 11 फ़रवरी को भूल जाएं, जैसा कि देश के भीतर भी कुछ लोग निरर्थक दलीलों और ग़लत बातों के ज़रिए अख़बारों और साइबर स्पेस में इसी कोशिश में लगे थे, लेकिन अवाम ने उनकी कोशिशों पर पानी फेर दिया।


इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस साल के 11 फ़रवरी के जुलूस में अवाम की सही समझ के साथ शिरकत की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोगों के इंटरव्यू से ज़ाहिर था कि वे सही समझ व समीक्षा के साथ जुलूस में शामिल हुए हैं और चूंकि वे इस बात को समझ गए थे कि अमरीका को उनकी शिरकत से चिंता है, इसलिए उन्होंने पूरे जोश, जज़्बे, ख़ुशी और अर्थपूर्ण नारों से अपनी अस्ली दिशा यानी इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी जुम्हूरी व्यवस्था के प्रति अपने समर्थन का एलान किया।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने यह भी कहा कि अमरीका और ज़ायोनियों का मीडिया साम्राज्य इस कोशिश में है कि यह बुलंद आवाज़ दूसरी क़ौमों के कान तक न पहुंचे लेकिन जिन्हें सुनना चाहिए उन्होंने यानी अमरीका और ब्रिटेन में नीति बनाने वाले विभागों और दुश्मनों की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने ज़रूर इस आवाज़ को सुना है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने दुश्मन के हमलों और उसके इस क़िस्म की बयानबाज़ियों की ओर इशारा करते हुए कि ईरान को फ़ौजी फ़ौजी ताक़त की ज़रूरत ही क्या है? कहा कि पहली बात तो यह कि जिस देश के इतने दुश्मन हों उसे अपनी और अपनी क़ौम की फ़िक्र में रहना चाहिए जैसा कि इंक़ेलाब के आग़ाज़ में जब मुझ पता चला कि कुछ लोग एफ़-14 फ़ाइटर जेट को बेचना चाहते हैं तो फ़ौरन मैंने इंटरव्यू दिया और पर्दाफ़ाश किया जिससे वह साज़िश नाकाम हो गयी।


इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बल दिया कि अक़्ल और शरीअत की बुनियाद पर हमने डिफ़ेन्स पर ध्यान दिया है और क़ुरआन के हुक्म की बुनियाद पर ही भविष्य में भी इस क्षेत्र में जहाँ तक मुमकिन होगा कोशिश करेंगे।
उन्होंने इस बारे में कहा कि मुल्क में उद्योग, सड़क व बांध निर्माण जैसे ढांचागत मामलों सहित दूसरे मैदानों में डिफ़ेन्स से कई गुना ज़्यादा काम व पूंजीनिवेश हुआ है लेकिन दुश्मन ईरान के ड्रोन के बारे में प्रोपैगंडों से जिससे उसका ख़ौफ़ साफ़ झलकता है, दूसरी तरक़्क़ियों का इंकार करना और सिर्फ़ डिफ़ेन्स के मामलों का हंगामा करना चाहता है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मुल्क की तरक़्क़ियों को ख़ुशी देने वाली और क़ाबिले तारीफ़  हक़ीक़त बताते हुए कहा कि हम प्रचार व मीडिया के काम में कमज़ोर हैं और अभी तक इन तरक़्क़ियों को दुनिया के सामने पेश करने के लिए ज़रूरी महारत हासिल नहीं कर सके।
उन्होंने आगे कहा कि ईरान के कारनामों या प्रदर्शनियों को देखने वाले जब पाबंदी के बावजूद इस हद तक तरक़्क़ी देखते हैं तो हैरत का इज़हार करते हैं, जैसा कि कुछ साल पहले ज़ायोनी फ़ौज की मीज़ाइल यूनिट के कमांडर ने भी कहा था कि मैं ईरान का दुश्मन हूं लेकिन एडवांस्ड मीज़ाइल बनाने के ईरानी वैज्ञानिकों के कारनामे पर उन्हें सलामी देता हूं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इन्फ़लेशन पर लगाम और आर्थिक विकास को सबसे अहम काम में गिनवाया और इस बात पर ताकीद करते हुए कि सभी ख़ास तौर पर अधिकारी व ओहदेदार दिन रात कोशिश में लगे हुए हैं कहा कि आर्थिक मामले इस वक़्त सबसे ज़्यादा अहम मामले हैं, क्योंकि आर्थिक विकास के बिना मुल्क आगे नहीं बढ़ेगा और आर्थिक विकास के लिए क़ीमतों में स्थिरता और इन्फ़लेशन पर लगाम ज़रूरी है। उन्होंने इन्फ़लेशन पर लगाम को मुमकिन बताते हुए मुख़्तलिफ़ विभाग के अधिकारियों पर इस दिशा में कोशिश करने पर बल दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने भविष्य को पहले की तरह उज्जवल बताते हुए कहा कि जब भी मुल्क के सामने क्षितिज साफ़ रहा, हमने उसे हासिल कर लिया क्योंकि क़ौम की क़ाबिलियत और मुल्क की सलाहियत बहुत ज़्यादा है इसलिए यह क़ौम और भी बड़े बड़े कारनामे अंजाम देगी।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में तबरीज़ और आज़रबाइजान के अवाम के ईमान, ग़ैरत और मुहब्बत की सराहना करते हुए, तबरीज़ियों के 18 फ़रवरी के आंदोलन को ईरान की तारीख़ में निर्णायक मोड़ और ईरान की तारीख़ में नया अध्याय जुड़ने का दिन क़रार दिया। उन्होंने कहा कि अगर तबरीज़ के अवाम क़ुम के अवाम के आंदोलन के चालीसवें दिन नहीं उठते तो वह आंदोलन भुला दिया जाता लेकिन तबरीज़ियों ने क़ुम के वाक़ए को क़ौमी आंदोलन में बदल कर कि जिसके नतीजे में पिट्ठू ज़ालिम शासन एक साल से भी कम मुद्दत में गिर गया, आज़ादी का परचम हाथों में उठाया और इतिहास में नए दौर को जन्म दिया।
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत में ‘वलीये फ़क़ीह’ के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन आले हाशिम ने जवानों और इंटलेक्चुअल्ज़ के साथ लगातार सक्रिय संपर्क, आर्थिक मामलों के हल के लिए लगातार कोशिश, अवाम से सीधे संपर्क, धर्म विरोधी व अलगाववादी प्रक्रियाओं के ख़िलाफ़ कलचरल व पॉलिटिकल जिद्दोजेहद को, इस प्रांत में वलीये फ़क़ीह के प्रतिनिधि कार्यालय के हालिया कामों के तौर पर पेश किया।

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