۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
रहबर

हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रविवार 19 नवंबर 2023 की सुबह सिपाहे पासदाराने इंक़ेलाब की ‘आशूरा एरोस्पेस साइंसेज़ यूनिवर्सिटी’ पहुंच कर डेढ़ घंटे तक आईआरजीसी की एरोस्पेस फ़ोर्स की उपलब्धियों की प्रदर्शनी का मुआइना किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस मौक़े पर अपनी स्पीच में फ़िलिस्तीन के हालात और ग़ज़ा में ज़ायोनी सरकार के अपराध जारी रहने की ओर इशारा किया और कहा कि ग़ज़ा के वाक़यात ने दुनिया के सामने बहुत सी छिपी सच्चाईयों से पर्दा हटा दिया जिनमें से एक सच्चाई, पश्चिमी मुल्कों के नेताओं की ओर से नस्लभेद का समर्थन किया जाना है।

उन्होंने ज़ायोनी सरकार को नस्लभेद का प्रतीक बताया और कहा कि ज़ायोनी अपने आप को नस्ल के लेहाज़ से श्रेष्ठ समझते हैं और दूसरे सभी इंसानों को घटिया नस्ल का मानते हैं, यही वजह है कि उन्होंने किसी एहसासे गुनाह के बग़ैर कई हज़ार बच्चों को क़त्ल कर दिया।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बल दिया कि जब अमरीका के राष्ट्रपति, जर्मन चांसलर, फ़्रांस के राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधान मंत्री अपने ऊंचे ऊंचे दावों के बावजूद, इस तरह की नस्लपरस्त सरकार का समर्थन और उसकी मदद करते हैं तो उनकी तरफ़ से नस्लपरस्ती का समर्थन एक निंदनीय हक़ीक़त है। 

उन्होंने कहा कि यूरोप और अमरीका के अवाम भी ऐसे हालात में अपनी ज़िम्मेदारी महसूस कर लें और बता दें कि वो नस्लपरस्ती के समर्थक नहीं हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ग़ज़ा के हालात के बारे में जो दूसरी अहम बात बयान की वह ज़ायोनी सरकार की फ़ौजी नाकामी के बारे में थी। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी सरकार ग़ज़ा पर बेतहाशा बमबारी के बावजूद अब तक अपने मिशन में नाकाम रही है क्योंकि उसने शुरू से ही कहा था कि हमारा लक्ष्य हमास और प्रतिरोध फ़ोर्सेज़ को ख़त्म करना है लेकिन चालीस दिन से ज़्यादा गुज़र जाने और अपनी सारी फ़ौजी ताक़त इस्तेमाल करने के बावजूद वह अब तक ऐसा नहीं कर पायी है।

उन्होंने ग़ज़ा में अस्पतालों, औरतों और बच्चों पर बर्बरतापूर्ण बमबारी को अपनी हार पर ज़ायोनी अधिकारियों की गहरी बौखलाहट की निशानी बताया और कहा कि ग़ज़ा में ज़ायोनी सरकार की शिकस्त एक सच्चाई है और अस्पतालों या आम लोगों के घरों में घुस जाना फ़तह नहीं है क्योंकि फ़तह का मतलब विरोधी पक्ष को शिकस्त देना है जो ज़ायोनी सरकार अब तक नहीं कर पायी है और भविष्य में भी ऐसा नहीं कर पाएगी।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि इस नाकामी का दायरा, ज़ायोनी सरकार से आगे तक निकल गया है और इसने अमरीका और पश्चिमी मुल्कों तक को अपनी लपेट में ले लिया है और अब दुनिया ने यह हक़ीक़त देख ली है कि आधुनिक फ़ौजी संसाधन रखने वाली सरकार, अपने विरोधी पक्ष पर हावी नहीं हो सकी कि जिसके पास इनमें से कोई भी संसाधन नहीं है।

उन्होंने इसी तरह मुसलमान सरकारों की प्रतिक्रिया और ज़िम्मेदारियों के बारे में कहा कि कुछ मुसलमान सरकारों ने ज़ाहिरी तौर पर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ज़ायोनी सरकार के अपराधों की भर्त्सना की और कुछ ने तो अब तक भर्त्सना भी नहीं की जो किसी भी तरह क़ाबिले क़ुबूल नहीं है। मगर असली काम यह है कि ज़ायोनी सरकार की नसों और उसकी ज़िन्दगी की रग को काट दिया जाए और इस्लामी सरकारें इस सरकार तक ऊर्जा और सामान न पहुंचने दें।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी सरकारों को चाहिए कि कम से कम सीमित मुद्दत के लिए ज़ायोनी सरकार के साथ अपने राजनैतिक संबंध ख़त्म कर लें। उन्होंने कहा कि अवाम अपने प्रदर्शन और रैलियां जारी रखें और फ़िलिस्तीनी क़ौम की मज़लूमियत को फ़रामोश न होने दें। उन्होंने कहा कि हम अल्लाह के वादे पर यक़ीन रखते हैं और भविष्य की ओर से भी आशावान हैं और अपनी ज़िम्मेदारी पर अमल करते रहेंगे।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने जिस नुमाइश का मुआइना किया उसमें मीज़ाइल, ड्रोन, डिफ़ेन्स और एरोस्पेस के उपकरण रखे गए थे। आईआरजीसी के जवान वैज्ञानिकों और माहिरों के नए आविष्कारों को नुमाइश के लिए पेश किया गया था। इस नुमाइशगाह का नारा “सोच से लेकर प्रोडक्ट तक पूरी तरह ईरानी” था।

इस नुमाइशगाह में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में, हाइपरसोनिक क्रूज़ मीज़ाइल ‘फ़त्ताह-2’, मोबाइल डिफ़ेन्स सिस्टम ‘मेहरान’, अपग्रेडेड सिस्टम ‘9-दय’ और इसी तरह ‘शाहिद-147’ ड्रोन को नुमाइश के लिए रखा गया था। सैटेलाइट कैरियर मीज़ाइल का प्रोडक्शन तैयारी और स्पेस में सैटेलाइट भेजने के मैदान में उठाए गए क़दम और नई उपलब्धियों को इस नुमाइश में पेश किया गया। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस तरह की वैज्ञानिक तरक़्क़ी को संकल्प और ईमान पर आधारित जज़्बे का नतीजा बताया और कहा कि हमारे नौजवान जहाँ भी इरादे और ईमान के साथ पहुंचे, वहीं उन्होंने बड़े कारनामे अंजाम दिए और इस नुमाइश में भी इरादे और ईमान की निशानियां साफ़ तौर पर ज़ाहिर थीं।

ईरानी फ़ौज के सुप्रीम कमांडर ने इनोवेशन को आईआरजीसी की एरोस्पेस की नुमाइश की एक और ख़ुसूसियत गिनवाया और कहा कि कामयाबियों के मौजूदा स्तर पर रुकना नहीं चाहिए क्योंकि दुनिया में मुख़्तलिफ़ फ़ौजी और ग़ैर फ़ौजी विभाग लगातार आगे बढ़ रहे हैं और हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि कहीं पीछे न रह जाएं।
 

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