हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , क़ुम में आयोजित 'उम्मत-ए-अहमद' सम्मेलन में खिताब करते हुए शेख दक्क़ाक़ ने पैगंबर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) के जन्मदिन और इमाम जाफर सादिक (अ.स.) के जन्मदिन के अवसर पर कहा कि जिस तरह पैगंबर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) के जन्म के अवसर पर चमत्कार प्रकट हुए, आज भी ईश्वरीय कृपा उम्मत (मुस्लिम समुदाय) को घेरे हुए है।
उन्होंने कहा कि दुश्मन ने एक योजना तैयार की थी जिसमें ईरान के उच्च सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुविधाओं को नष्ट करना शामिल था, लेकिन मुसलमानों के नेता (वली-ए-अम्र) आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली खामेनेई की बुद्धिमान नेतृत्व और ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता ने इस साजिश को विफल कर दिया।
शेख दक्क़ाक़ के अनुसार, विलायत-ए-फकीह यानी आयतुल्लाहिल उज़मा खामेनेई जैसे एक दुर्लभ व्यक्तित्व के नेतृत्व ने युद्ध को संभाला, साथ ही शहीदों के परिवारों ने, यानी उस राष्ट्र ने जिसने क्रांति की रक्षा के लिए खून की कुर्बानियाँ दीं, और राष्ट्रीय एकता यानी वह कारक जिसने दुश्मन के सपने को चकनाचूर कर दिया और गृहयुद्ध की योजना को दफन कर दिया।
उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र इन्हीं सिद्धांतों पर कायम रहते हुए इस गिरोह को इमाम-ए-ज़माना (अ.ज.) के सुपुर्द करेगा। आज उम्मत की एकता, दुश्मन के मुकाबले में सबसे बड़ी ढाल है, जैसा कि पैगंबर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) भी एकेश्वरवाद और एकता एतेहाद-ए-कलिमा के लिए भेजे गए थे।
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