हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , तेहरान के अस्थायी इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह सैयद अहमद खातमी ने अपने खुतबे में कहा कि सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अपील करना काफ़ी नहीं है, इस्राईल के ख़िलाफ़ मुकाबले के लिए अमली और ठोस क़दम उठाने होंगे।
उन्होंने हफ्ता ए वहदत और पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.) तथा इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.) की विलादत के अवसर पर देशभर में आयोजित कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि शिया और सुन्नी हमेशा भाईचारे के साथ रहते हैं और यह सब इमाम सादिक़ (अ.स.) की शिक्षाओं और रहनुमाई का ही नतीजा है।
इमाम ए जुमा ने रहबर-ए-इंक़लाब (ईरान के सर्वोच्च नेता) की रहनुमाई को बेहद अहम बताया और कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए उत्पादन केंद्रों की सुरक्षा, ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति और ज़रूरी चीज़ों का सुरक्षित भंडारण ज़रूरी है। उन्होंने सरकार से अपील की कि जनता की ज़िंदगी आसान बनाने, गैस की सुनिश्चित आपूर्ति करने और धार्मिक मूल्यों का सम्मान बनाए रखने को प्राथमिकता दे।
उन्होंने कहा कि देश की असली ताक़त धर्म, एकता, साहसी नेतृत्व, जनता की प्रतिबद्धता, रक्षा शक्ति और वैज्ञानिक प्रगति में है।
क़तर में ह़मास के ख़िलाफ़ इस्राईल की हालिया कार्रवाई की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य शुरू से ही आक्रामक नीति पर आधारित है जैसे नरसंहार इसके इतिहास का हिस्सा हैं।
आयतुल्लाह खातमी ने कुछ अरब देशों को चेतावनी दी कि अगर इस्राईल को और ताक़त मिली, तो क्षेत्र के अन्य देश भी उसके निशाने पर होंगे। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि सिर्फ बयानों से कुछ नहीं होगा, बल्कि मुस्लिम देशों को इस्राईल के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंध तुरंत समाप्त कर देने चाहिएँ।
उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह लेबनान की एक मज़बूत प्रतिरोधी ताक़त है और इसे कमज़ोर करना न सिर्फ लेबनान बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए नुक़सानदेह होगा।
आख़िर में, आयतुल्लाह खातमी ने वैश्विक स्तर पर फ़िलस्तीन के समर्थन में बढ़ती एकजुटता को सकारात्मक क़रार देते हुए कहा कि यह उम्मत-ए-मुस्लिमा की जागरूकता और एकता की निशानी है, जिसे और मज़बूती मिलनी चाहिए।
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