बुधवार 8 अक्तूबर 2025 - 14:30
तूफ़ान अलअक्सा ने फ़िलिस्तीन के इतिहास का रुख बदल दियाः मौलवी इक़बाल बहमनी

हौज़ा / मौलवी इक़बाल बहमनी ने कहा है कि तूफ़ान अल-अक्सा ऑपरेशन न केवल फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की ताक़त का परिचायक है बल्कि इसने इज़राइल की सैन्य कमज़ोरी को भी उजागर कर दिया है यह कार्रवाई इस्लामी समुदाय के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि प्रतिरोध ही सम्मान और आज़ादी का रास्ता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , कुर्दिस्तान के प्रतिनिधि और अहलेसुन्न के विद्वान मौलवी इक़बाल बहमनी ने कहा कि यह ऑपरेशन फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन द्वारा किया गया एक ऐतिहासिक मोड़ था जिसने इज़राइल के ‘अपराजेय’ होने के भ्रम को खत्म कर दिया।

उन्होंने कहा कि तूफ़ान अल-अक्सा ने स्पष्ट कर दिया कि यदि ईमान, एकता और संकल्प हो तो एक छोटा समूह भी बड़ी ताकत को हिला सकता है। आयरन डोम नामक कथित अपराजेय सुरक्षा प्रणाली का फेल होना, इज़राइली सैन्य ठिकानों में घुसपैठ और यहूदी सैनिकों का पकड़ा जाना इस कार्रवाई के महत्वपूर्ण पहलू थे।

मौलवी बहमनी ने कहा कि तूफ़ान अल-अक्सा उन अरब देशों के लिए भी एक कड़ी चेतावनी संदेश था जो इज़राइल के साथ संबंध सामान्य करने में लगे थे। इस कार्रवाई के बाद कई देशों ने ज़ायोनी सरकार के साथ अपने संबंधों को रोक दिया या सीमित कर दिया।

उन्होंने ज़ोर दिया कि इस्लामी सरकारों और उनकी सेनाओं को चाहिए कि वे फ़िलिस्तीनी जनता का समर्थन करें और दुश्मन के डर से पीछे न हटें।

मौलवी बहमनी ने कुरान और सुन्नत की रोशनी में सवाल उठाया कि जब पीड़ित महिलाएं, बच्चे और पुरुष ज़ायोनी अत्याचार का शिकार हैं, तो इस्लामी समुदाय चुप क्यों है? उन्होंने कहा कि पीड़ितों का समर्थन करना इस्लामिक समुदाय और सरकारों की धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारी है।

उन्होंने आगे कहा कि तूफ़ान अल-अक्सा ने न केवल इज़राइल बल्कि अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों को भी हक्का-बक्का कर दिया, जिन्होंने तुरंत युद्धविराम और वार्ताओं की बात शुरू कर दी ताकि हमास के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके।

मौलवी बहमनी ने कहा कि इस ऑपरेशन ने दुनिया के सामने ज़ायोनी सरकार का “खतरनाक और बेरहम चेहरा” उजागर कर दिया। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वे दुश्मन की चालों में न आएं और अपनी नीतियों में सावधानी बरतें।

अंत में उन्होंने कहा कि तूफ़ान अल-अक्सा का सबसे बड़ा सबक यह है कि “प्रतिरोध परिवर्तन का संदेश है” और हमास ने यह संदेश सभी इस्लामी देशों तक पहुंचा दिया है।

उन्होंने इस्लामी समुदाय और सरकारों से अपील की कि वे इस अवसर को न चूकें और फ़िलिस्तीन के पीड़ितों का समर्थन करने के लिए एकजुट हो जाएं।

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