मंगलवार 14 अक्तूबर 2025 - 07:00
हौज़ा ए इल्मिया आयतुल्लाह ख़ामेनेई की ओर से इल्मी बज़्म और मआरिफ़ ए इस्लामी का आयोजन

हौज़ा / हज़रत फ़ातेमा मासूमा (स) की याद में भीखपुर, सिवान में एक धार्मिक और साहित्यिक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में धार्मिक विद्वानों, कवियों और आले मुहम्मद के प्रेमियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में धार्मिक पाठ, क़ुरआन की तिलावत, भाषण और दुआएं पेश की गईं, और युवाओं को इस्लामी ज्ञान की ओर प्रेरित किया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, भीखपुर, बिहार में इस सभा का आयोजन हज़रत फ़ातेमा मासूमा (स) की याद में किया गया। इसके साथ ही आयतुल्लाहिल उज़मा सिस्तानी (म ज़) की मरहूमा पत्नी के लिए ईसाल-ए-सवाब की एक मजलिस भी आयोजित की गई। इसके अलावा इस्लामी ज्ञान के लिए कक्षाएं भी चलाई गईं। तिलावत की ज़िम्मेदारी आक़िल मुस्तफ़ा ने निभाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता सय्यद इंतज़ार हुसैन रज़वी ने की। कविता कार्यक्रम में करार हुसैन, नदीम नदीमी, गुलाम नज़फ़, वफ़ादार हुसैन रज़वी, परवेज़ हुसैन रज़वी और अनवर भीखपुरी ने भाग लिया।

भाषण और विश्लेषण के लिए मौलाना सय्यद अली रज़वी और मौलाना मुहम्मद रज़ा मारूफ़ी ने भाग लिया। इसके बाद मौलाना सय्यद शमा मुहम्मद रिज़वी ने दुआ की। उन्होंने इस्लामी ज्ञान की कक्षाओं के माध्यम से युवाओं को शिक्षा और अध्ययन की ओर प्रेरित किया।

इस सभा में जनाब आरिफ़ अब्बास ने "हज़रत फ़ातेमा मासूमा (स) का जीवन और चरित्र" विषय पर प्रकाश डाला। इसके बाद मौलाना मुहम्मद रज़ा मारूफ़ी ने "हज़रत फ़ातेमा मासूमा की यात्रा और शिक्षा के कार्य" विषय पर बात की। तीसरे वक्ता मौलाना सय्यद अली रज़वी थे, जिन्होंने "हज़रत फ़ातेमा मासूमा: दिव्य अनुग्रह का द्वार" विषय पर भाषण दिया। उन्होंने कहा कि हज़रत फ़ातेमा मासूमा (स) का स्थान दिव्य आशीर्वाद का घर है, जहाँ से ज्ञान और आध्यात्मिकता की धारा निकलती है।

अंत में मौलाना सय्यद शमा मुहम्मद रिज़वी ने दुआ में कहा कि हज़रत फ़ातेमा मासूमा के श्रद्धालु जो उनकी ज़ियारत करते हैं, वे आल-ए-मुहम्मद के प्रेमी होते हैं। आठवें इमाम अली रज़ा (अ) ने कहा था कि जिसने हज़रत फ़ातेमा मासूमा की ज़ियारत की, उसने गोया मेरी ज़ियारत की। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग आले मुहम्मद के प्रेमी होते हैं, वे अपनी जान और माल को कुछ नहीं समझते और अपने इमामों की ज़ियारत के लिए सब कुछ कुर्बान कर देते हैं।

मौलाना ने आगे कहा कि छठे इमाम जफर सादिक (अ) ने फ़रमाया: "क़ुम हमारा हरम है, जहाँ बीबी करीमा का रौज़ा है, वहीं दीन का केंद्र है, जहाँ दुनिया के कोने-कोने में ज्ञान की मशाल जल रही है।" उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे आगे आने वाली कक्षाओं में भाग लें ताकि अहले-बैत (अ) के ज्ञान की रोशनी फैलती रहे।

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