हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, भिखपुर, सिवान (बिहार) में हर हफ्ते शनिवार की रात को “क़ुरआन व इतरत फ़ाउंडेशन” तरफ से “दीन और ज़िंदगी” के विषय पर कक्षाएँ आयोजित की जा रही हैं।
मौलाना सैयद शमअ मोहम्मद रज़वी ने इस अवसर पर कहा कि अपने बच्चों और परिवार को धार्मिक और आधुनिक दोनों तरह की शिक्षा देना वक्त की ज़रूरत है।
यह साप्ताहिक कक्षा क़ुरआन की तिलावत (पाठ) से शुरू होती है और कई बार आयतों के सरल अनुवाद भी पेश किए जाते हैं। कक्षा में प्रबंधन के ज़िम्मेदार लोग उपस्थित लोगों का स्वागत करते हैं, जबकि सवाल-जवाब के सत्र में छात्र और युवा बहुत रुचि दिखाते हैं। कई परिवारों ने भी प्रशासन को संदेश भेज कर बताया कि उनके बच्चे धार्मिक शिक्षा में दिलचस्पी ले रहे हैं, जिससे वे बहुत खुश हैं।
स्वागत संबोधन में कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि हम धर्म के विद्वानों और बुज़ुर्गों का आदरपूर्वक स्वागत करते हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आम जनता को इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों से छोटे लेकिन समझदारीपूर्ण रूप में परिचित कराना और युवाओं को भविष्य में धार्मिक सेवाओं के लिए तैयार करना है। कक्षा में आधुनिक विषयों के शिक्षक सैयद आल इब्राहीम रज़वी, सैयद कौसर हुसैन रज़वी और सैयद आसिफ हुसैन रज़वी के अलावा धार्मिक विषयों के शिक्षक भी मार्गदर्शन करते हैं।
संस्थान के संस्थापक मौलाना सैयद शमअ मोहम्मद रज़वी ने सभी प्रतिभागियों का दिल से शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि कक्षा में बुज़ुर्गों की मौजूदगी और उनकी नसीहतें छात्रों के अनुशासन और रुचि को बढ़ाती हैं। कक्षा के दौरान बीच-बीच में क़ुरआन की आयतें और हदीसें सुनाई जाती हैं, और छात्र अपनी भाषण व सांस्कृतिक प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, जिससे माहौल शिक्षाप्रद बना रहता है।
मौलाना ने आगे कहा कि युवाओं की लगातार भागीदारी दीन की प्रचार और प्रसार में अहम भूमिका निभाती है। यह सिलसिला समाज में सुधार और सकारात्मक बदलाव की बुनियाद बन सकता है। उन्होंने धर्म का ज्ञान, अहले-बैत अ.स. की सैरत, बच्चों की परवरिश और नैतिक शिक्षा जैसे विषयों पर विस्तार से बात की और माता-पिता को बच्चों की धार्मिक शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेने की प्रेरणा दी।
मौलाना ने ज़ोर दिया कि धार्मिक ज्ञान तरक्की और सुधार का सबसे बड़ा हथियार है और आज के समय के फितनों से बचाव का सबसे असरदार माध्यम भी यही है। उन्होंने कहा कि जहाँ ज्ञान की रोशनी होती है वहाँ अज्ञान और अँधेरा जगह नहीं पा सकता। यही वजह है कि दीन और दुनिया दोनों में कामयाबी के लिए धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देना बेहद ज़रूरी है।
ये कक्षाएँ हर हफ्ते नमाज़-ए-मग़रिबैन के बाद लगभग रात 10 बजे तक चलती हैं। युवा और विद्यार्थी बड़ी रुचि से भाग लेते हैं, जिससे दीन की शिक्षा और तर्बियत में एक नई रूह पैदा हो रही है।

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