शनिवार 18 अक्तूबर 2025 - 20:47
कारगिल में साइलेंट मार्च,राज्य को दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग

हौज़ा / कारगिल में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस और लद्दाख एपेक्स बॉडी द्वारा एक शांतिपूर्ण मौन मार्च निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और सोनम वांगचुक सहित सभी गिरफ़्तार लोगों को रिहा करने की मांग की। इस मार्च से पहले प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी कर दी थी और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,कारगिल में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस और लद्दाख एपेक्स बॉडी द्वारा एक शांतिपूर्ण मौन मार्च निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और सोनम वांगचुक सहित सभी गिरफ़्तार लोगों को रिहा करने की मांग की। इस मार्च से पहले प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी कर दी थी और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं।

इस मौन मार्च में स्थानीय नागरिकों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। मार्च का उद्देश्य लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना इसे भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना और मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक सहित सभी गिरफ़्तार लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करना था।

मार्च के दौरान सभी लोगों ने शांतिपूर्वक अपनी मांगें रखीं और सरकार से लद्दाख के लोगों के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की मांग की। स्थानीय नेताओं ने कहा कि लद्दाख के लोग अपनी पहचान, रोज़गार के संरक्षण और स्थानीय स्वशासन के लिए प्रतिबद्ध हैं।

प्रशासन की ओर से मार्च से पहले ही कड़े सुरक्षा इंतज़ाम कर लिए गए थे। संभावित विरोध को देखते हुए अधिकारियों ने पिछली रात से ही मोबाइल इंटरनेट सेवाएं रोक दी थीं, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को टाला जा सके।

गौरतलब है कि लद्दाख के लोग पिछले कई महीनों से अपने संवैधानिक अधिकारों और छठी अनुसूची के तहत विशेष संरक्षण की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि साल 2019 में जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से स्थानीय लोगों के अधिकार सीमित हो गए हैं, जिन्हें वे फिर से हासिल करना चाहते हैं।

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