हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के प्रतिनिधि से बात करते हुए हौज़ा इल्मिया के शिक्षक हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन नासिर इब्राहिमी ने दुश्मन की पहचान को एक बौद्धिक सिद्धांत और व्यक्ति व समाज के लिए जीवन की आवश्यकता बताया और कहा, विचारशील व्यक्तियों को इस मुद्दे पर और ध्यान देना चाहिए।
हौज़ा ए इल्मिया के शिक्षक ने कहा, एक बौद्धिक विश्लेषण के अनुसार कोई भी जीवित वस्तु तीन विशेषताएं रखती है: 1. बाहरी खतरों के सामने प्रतिरोध। 2. आंतरिक खतरों के सामने प्रतिरोध। 3. खतरों के बावजूद निरंतर विकास और गति को जारी रखना।
उन्होंने कहा,हमारे देश का समकालीन इतिहास इस बात का साक्षी है कि ईरान और इस्लामी क्रांति पर आधारित व्यवस्था जीवित और मजबूत है क्योंकि इसने आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार के खतरों का सामना किया और अपनी प्रगति जारी रखी।
हौज़ा इल्मिया के इस शिक्षक ने आगे कहा, आठ वर्षीय और बारह दिवसीय पवित्र रक्षा बाहरी दुश्मन के सामने प्रतिरोध की स्पष्ट उदाहरण हैं, जिनमें दर्जनों देशों के गठबंधन का सामना किया गया। इसके विपरीत इराक और कुवैत जैसे कुछ देशों का अमेरिका के हमले के सामने तेजी से ढह जाना, बाहरी दुश्मन की पहचान में कमजोरी या गलत मूल्यांकन का नतीजा था।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन इब्राहिमी ने दुश्मन को दो हिस्सों में बांटते हुए कहा, सबसे खतरनाक आंतरिक दुश्मन नफ्स-ए-अम्मारा है, जैसा कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन तुम्हारा अपना नफ्स है। जो तुम्हारे सीने में है। और बाहरी दुश्मन जिन्न और इंसान के शैतान हैं, जिनका काम बुरे कामों को आकर्षक बनाना और इंसानों को गुमराह करना है। इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने हमें सिखाया कि अंतर्राष्ट्रीय मैदान में सबसे बड़े शैतान की सबसे स्पष्ट मिसाल अमेरिका है।
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