हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंजुमन-ए-साहिब-ए-ज़मां के तत्वावधान में सैंको और सोरो घाटी कारगिल लद्दाख में आशूरा दिवस बड़ी श्रद्धा, सम्मान और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर प्रतिरोध मोर्चे की जीत और सफलता तथा विशेष रूप से इस्लामी क्रांति के नेता के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए प्रार्थना की गई।
तीसरो मे आशूरा का मुख्य जुलूस विभिन्न क्षेत्रों से होता हुआ आस्ताना-ए-आलिया पर समाप्त हुआ, जहां हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन आका सय्यद मुहम्मद रिजवी ने ज़ियारत ए आशूरा पर विस्तार से बात की।
उन्होंने कहा कि आशूरा का दिन हमें हजरत इमाम हुसैन (अ) और उनके समर्पित साथियों की महान कुर्बानियों की याद दिलाता है। पैगंबर के नवासे हजरत इमाम हुसैन (अ) ने यजीद बिन मुआविया से बैअत करने से इनकार कर दिया और सत्य और असत्य की इस लड़ाई में शहीद हो गए। उनके साथ 72 वफादार साथियों ने भी इस्लाम धर्म की शान के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
आका सय्यद मुहम्मद रिजवी ने आगे कहा कि यह महान घटना कर्बला में घटित हुई, जिसने त्याग, धैर्य, दृढ़ता और सत्य की जीत का उज्ज्वल उदाहरण प्रस्तुत किया। आशूरा का जुलूस हमें यह संदेश देता है कि हमें धर्म को बचाने के लिए हर तरह की कुर्बानी देनी चाहिए, जुल्म के खिलाफ डटकर खड़े रहना चाहिए और धैर्य और दृढ़ता के साथ ईश्वर पर पूरा भरोसा रखना चाहिए।
अंत में, ज़ियारत-ए-आशूरा पढ़ा गया और विशेष रूप से इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सय्यद अली खामेनेई की लंबी आयु, इस्लामी गणतंत्र ईरान की प्रगति और उत्पीड़ित फिलिस्तीनी लोगों की जीत के लिए प्रार्थना की गई।







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