गुरुवार 4 दिसंबर 2025 - 17:01
वह गुनाह जो इंसान की सारी नेमतें छीन लेता है

हौज़ा / इंसान की ज़बान बेहद खतरनाक है, एक जुमला इंसान की इज़्ज़त छीन सकता है, दिलों को तोड़ सकता है और नेक अमल को बर्बाद कर सकता है। कम खाना, सुबह जल्दी उठना, अकेले में खुद से हिसाब करना, ज़िक्र-ए-इलाही और सबसे बढ़कर ज़बान की हिफाज़त और खामोशी, यही इंसान की तकमील और अपनी हिफाज़त का पहला और सबसे अहम रास्ता हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इंसान की ज़बान बेहद खतरनाक है, एक जुमला इंसान की इज़्ज़त छीन सकता है, दिलों को तोड़ सकता है और नेक अमल को बर्बाद कर सकता है। कम खाना, सुबह जल्दी उठना, अकेले में खुद से हिसाब करना, ज़िक्र-ए-इलाही और सबसे बढ़कर ज़बान की हिफाज़त और खामोशी, यही इंसान की तकमील और अपनी हिफाज़त का पहला और सबसे अहम रास्ता हैं।

मरहूम आयतुल्लाह मुज्तहिदी तेहरानी ने अपने एक दर्स-ए-अखलाक में सुकूत और ज़बान की हिफाज़त के अहम मौजू पर गुफ्तगू फरमाई है, जो पेश-ए-खिदमत है।

इंसान को अपनी ज़बान की बेहद हिफाज़त करनी चाहिए।

कोई भी अंग और कोई भी ताकत, इंसान को इतना नुकसान नहीं पहुंचा सकती जितना नुकसान ज़बान पहुंचाती है। रिवायत में आता है कि हर सुबह इंसान के सारे अंग ज़बान से कहते हैं:

हमारी खैरियत इसी में है कि तुम हमें तकलीफ न दो। अगर तुम ग़ीबत करो, तोहमत लगाओ या गलत और बेहूदा बात करो, तो तुम हमारी हालत खराब कर देते हो।

हमें इबादत से रोक देती हो, दुआ से महरूम कर देती हो, और हमारी सारी मेहनत ज़ाया कर देती हो।

यानी ज़बान का एक गलत लफ्ज़ इंसान को तबाह कर सकता है उसकी इज़्ज़त खत्म कर सकता है, दिलों को तोड़ सकता है, और यहाँ तक कि उसके नेक अमल को भी बर्बाद कर सकता है।

क़ुम के एक उस्ताद-ए-अखलाक फरमाया करते थे,
यानी: खामोशी, कम खाना, सुबह जल्दी उठना, खल्वत और मुसलसल ज़िक्र-ए-खुदा, यह पाँच चीज़ें ना-पुख्ता इंसानों को कामिल बना देती हैं। और इन सब में सबसे पहली चीज़ खामोश रहना और ज़बान की हिफाज़त करना है।

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