हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, साज़मान तबलीग़ात-ए-इस्लामी के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहम्मद क़ुमी ने तेहरान में धार्मिक संगठनों के ख़य्येरीन और सक्रिय सदस्यों के साथ आयोजित एक बैठक में कहा: आज शैतानी ताक़तों ने हक़ के मोर्चे के ख़िलाफ़ जंग में अपनी सारी ताक़त लगा दी है। इसलिए विभिन्न धार्मिक आंदोलनों को जिहादे तबइनऔर व्यक्तियों की सही परवरिश का केंद्र बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च नेता मौजूदा दौर की जंग को केवल सैनिक जंग नहीं समझते। उनका मानना है कि शैतान ने हक़ के मोर्चे से टकराने के लिए अपनी सारी शक्ति दांव पर लगा दी है। आज जो संघर्ष जारी है, वह हमें दिफ़ा-ए-मुक़द्दस के दौर की याद दिलाता है।
हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद क़ुमी ने आगे कहा: ऐसे वक्त में जनता के दिल जीतने चाहिए, उनके विचार और सोच को मज़बूत करना चाहिए। अगर यह काम हो गया तो दुनिया की कोई ताक़त हमारे रास्ते को नहीं रोक सकेगी।
उन्होंने आख़िरज़मां से संबंधित रिवायतों का हवाला देते हुए कहा: रिवायतों में आया है कि आख़िरज़मां में शैतान कुफ़्र को फैलाने के लिए शरहे सदर तक पहुँच जाता है। यानी बुरी बातों को करने में वह धैर्य रखता है, और शक्ति और अधिकार में विस्तार तक पहुँच जाता है, यानी उसकी ताक़त बढ़ जाती है और उसका हाथ खुल जाता है।
साज़मान तबलीग़ात-ए-इस्लामी के प्रमुख ने कहा: सुप्रीम लीडर फ़रमाते हैं कि ऐसे हालात में जिहादे तबइन पर ज़्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि लोग इस अशूराई जंग की हक़ीक़त को पूरी तरह समझ सकें जिसमें हम आज मौजूद हैं।
अंत में, उन्होंने धार्मिक संगठनों के कार्यकर्ताओं से कहा: धार्मिक संगठनों की बरकतें केवल हज़रत सैय्यदुश्शोहदा इमाम हुसैन (अ) से भावनात्मक लगाव तक सीमित नहीं हैं। यह लोक कल्याण उससे कहीं अधिक बरकतमंद हो सकता है जितना अब है। लेकिन हममें से अधिकतर लोगों ने अपनी ख़ैराती और परोपकारी कोशिशों को सीमित कर दिया है। उदाहरण के तौर पर हमारी नज़र बस स्कूलों के निर्माण तक रह जाती है, जबकि यह भी एक नेक काम है, पर असल में स्कूल के बच्चों की सही परवरिश और प्रशिक्षण प्रणाली का निर्माण स्कूल की इमारत से कहीं ज्यादा महत्व रखता है। काश कि हमारे खय्येरीन लोग इन बातों पर पहले से अधिक ध्यान दें।
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