हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के प्रबंधक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली ख़य्यात ने कहा कि मरहूम आयतुल्लाहिल उज़मा मिर्ज़ा नाईनी (रह.) हमारे दौर के महान वैचारिक और राजनीतिक चिंतकों में से एक थे वे फ़िक़्ह-ए-मुक़ावमत के संस्थापकों में से थे और उन्होंने धर्म और राजनीति के गहरे संबंध को व्यवहारिक रूप में व्याख्यायित किया।उनकी इल्मी और जिहादी ज़िंदगी वास्तव में दीन और दुनिया की ज़रूरतों के साथ तालमेल का प्रतीक है।
यह बात उन्होंने मशहद मुक़द्दस में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन "मरहूम मिर्ज़ा नाइनी" के समापन सत्र में कही। इस कार्यक्रम में क़ुम नजफ़, मशहद और अन्य देशों के हौज़ा के विद्वानों और विचारकों ने भाग लिया।
हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने कहा कि मिर्ज़ा नाईनी की बौद्धिक विरासत ने इस्लामी राजनीतिक और सामाजिक फ़िक़्ह में नए विचारों को जन्म दिया। वे नजफ़ के मकातिब ए फ़क़ाहत के प्रमुख स्तंभों में से थे। उनके प्रमुख शियों में आयातुल्लाह हकीम, मिलानी, हिली और बज़नुर्दी जैसे महान फुक़हा शामिल हैं।
उन्होंने आगे कहा कि नाइनी रह.ने फ़िक़्ह-ए-मुक़ावमत और औपनिवेशिक विरोधी विचारधारा को केवल सैद्धांतिक स्तर पर नहीं रखा, बल्कि इसे व्यावहारिक रूप से भी सिद्ध किया। सैयद जमालुद्दीन असदाबादी से उनका वैचारिक संबंध और मिर्ज़ा शीराज़ी के साथ “तंबाकू आंदोलन” में भागीदारी ने उनके राजनीतिक दृष्टिकोण की नींव रखी। बाद में, संवैधानिक आंदोलन के दौरान, वे आख़ूंद ख़ुरासानी के वैचारिक सलाहकार के रूप में सक्रिय रहे।
उनकी प्रसिद्ध कृति तनबिह अल-उम्मह व तंज़ीह अल-मिल्लह" इस्लामी संवैधानिकता के समर्थन में धार्मिक और तर्कसंगत दलीलों का एक शाहकार है, जो आज भी इस्लामी विलायत आधारित शासन के सैद्धांतिक ढांचे में बुनियादी महत्व रखती है।
हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने कहा कि नाइनी की दूरदर्शी और समय को समझने वाली सोच आज भी उम्मत-ए-इस्लाम के लिए मार्गदर्शक है। जब मुस्लिम समाज बौद्धिक भटकाव का शिकार था, उस समय उन्होंने फिक़्ह और रणनीतिक बुद्धिमत्ता को मिलाकर आधुनिक इस्लामी सभ्यता की वैचारिक नींव रखी।
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का सबसे मूल्यवान परिणाम यह रहा कि इससे क़ुम, नजफ़ और मशहद के हौज़ात ए इल्मिया के बीच वैचारिक और धार्मिक संबंधों को एक नई मजबूती मिली जो विश्व शिया जगत की वैचारिक एकता का प्रतीक है।
अंत में, प्रबंधक ने बताया कि सम्मेलन के दौरान शोधकर्ताओं ने मिर्ज़ा नाईनी के 41 खंडों पर मुशतमील ग्रंथ-संग्रह को संकलित किया है, जो भविष्य में इस्लामी राजनीतिक और सामाजिक फ़िक़्ह के शोधकर्ताओं के लिए एक अमूल्य बौद्धिक धरोहर साबित होगा।
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