हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, निम्नलिखित रिवायत “बिहार उल अनवार” किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام السجاد علیه السلام:
«جاءَ رَجُلٌ إِلَى النَّبِیِّ(ص) فَقالَ: یا رَسُولَ الله، ما مِن عَمَلٍ قَبِیحٍ إِلّا قَد عَمِلتُهُ، فَهَل لِی تَوبَة؟
فَقالَ رَسُولُ الله(ص): فَهَل مِن والِدَیکَ أَحَدٌ حَیّ؟ قالَ: أَبِی. قالَ:فَاذهَب فَبِرَّهُ.
قالَ: فَلَمّا وَلّى قالَ رَسُولُ الله(ص): لَو كانَت أُمُّهُ.»
इमाम सज्जाद (अलैहिरस्सलाम) ने फ़रमाया:
एक आदमी पैगंबर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) के पास आया और कहा:
अल्लाह के रसूल, ऐसा कोई बुरा काम नहीं है जो मैंने न किया हो, तो क्या मेरे लिए कोई तौबा है?
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) ने फ़रमाया: क्या तुम्हारे माता-पिता में से कोई ज़िंदा है? उसने कहा: हाँ, मेरे पिता ज़िंदा हैं।
आप (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) ने फ़रमाया: जाओ और उनके साथ अच्छा बर्ताव करो।
जब वह चला गया, तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) ने फ़रमाया: काश उसकी माँ ज़िंदा होती! (यानी अगर उसकी माँ ज़िंदा होती और वह उसके साथ अच्छा बर्ताव करता, तो उसके गुनाह बहुत जल्दी माफ़ हो जाते)।
बिहार उल अनवार, भाग 74, पेज 82
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