गुरुवार 23 अक्तूबर 2025 - 23:36
मिर्ज़ा नाईनी का सम्मान ईरानी और इराकी मदरसों के संबंध पर ज़ोर देता है

हौज़ा / मिर्ज़ा नाईनी की याद में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन मे सुप्रीम लीडर के बहुमूल्य संदेश का उल्लेख करते हुए, हौज़ा ए इल्मिया की सर्वोच्च परिषद के सचिवालय के प्रमुख ने कहा: "इस सम्मेलन का आयोजन अल्लामा नाईनी की फ़िक्ही, उसूली और राजनीतिक विचार विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक कदम है, साथ ही क़ुम और नजफ़ के हौज़ो के बीच इल्मी रिश्तों को मज़बूत करने पर बल देने वाला कदम है।"

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के रिपोर्टर के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अहमद फर्रुख़फ़ाल ने मिर्ज़ा नाईनी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में आयोजकों के इल्मी और दीनी प्रयासों पर आभार व्यक्त किया और मराज ए तक़लीद, ईरान व इराक़ के हौज़ा-ए-इल्मिया, और सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनई के समर्थन की अहम भूमिका पर ज़ोर दिया।

उन्होंने कहा: हज़रत अमीरुल मोमेनीन अली (अ) ने फ़रमाया है — “वह फक़ीह सच्चा है जो लोगों को ख़ुदा की रहमत से मायूस न करे, उन्हें अज़ाब से बेख़बर न रखे, गुनाह की इजाज़त न दे और कुरआन से नज़र न फेरे केवल इसलिए कि उसे कोई दूसरा रास्ता पसंद आए।”

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन फर्रुख़फ़ाल ने कहा: सुप्रीम लीडर ने फरमाया कि “मरहूम नाईनी की याद में ऐसे सम्मेलन की कमी महसूस हो रही थी और यह कार्य बहुत ही मूल्यवान है।” उन्होंने यह भी कहा कि “सम्मेलन के समापन का आयोजन इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पवित्र हरम के पास करना एक सराहनीय और उचित निर्णय है।”

उन्होंने बताया: “ख़ुदा के फ़ज़्ल से, ईरान और इराक़ के हौज़ों के बीच सच्चे और निकट संबंधों के परिणामस्वरूप यह सम्मेलन 28 अक्टूबर को नजफ़ अशरफ़ में उद्घाटन के साथ शुरू होगा और समापन समारोह 30 अक्टूबर को सय्यदुश शोहदा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के हरम में आयोजित होगा।”

महासचिव ने नजफ़ अशरफ़ के हौज़ा-ए-इल्मिया की सहयोगी भूमिका की प्रशंसा करते हुए नजफ़ के बुज़ुर्ग उलेमा के गंभीर और दिली सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्हीं की मदद से हम अल्लामा नाईनी (र) के फ़िक़्ह, उसूल, तकीरात , हस्तलिख़्त किताबों और टिप्पणियों का 41 जिल्दों पर आधारित विश्वकोश संग्रह प्रकाशित करने में सफल हुए।”

हुज्जतुल इस्लाम फ़र्रुखफ़ाल ने मरहूम नाइनी के परिवार, ख़ास तौर पर आयतुल्लाह शेख़ जाफ़र नाईनी और उनके ख़ानदान का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने अंतिम संपादन और संग्रहण में अत्यधिक सहयोग दिया।

उन्होंने बताया कि “इस कांग्रेस का इल्मी प्रबंधन आयतुल्लाह उस्तादी की निगरानी में किया गया। फ़िक़्ह, उसूल, राजनीतिक विचार, सीरत और विचारिक सिद्धांतों पर आधारित विशिष्ट समितियों में गहरे शोध और उत्कृष्ट लेख तैयार किए गए, जिनके परिणामस्वरूप 6 जिल्दों में यह सामग्री प्रकाशित की गई है। यह इल्मी संग्रह कुल 247 जिल्दों पर आधारित है, जिसकी सॉफ़्टवेयर प्रति भी शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।”

महासचिव ने अपने अंतिम संबोधन में कहा: “मैं आयतुल्लाह आराफ़ी, शूरा-ए-आला और जामेअ मुदर्रेसीन, शिक्षकों, विद्वानों, और देश-विदेश के सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।

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