हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्टर जनाब फ़ाल्क ने फ़िलिस्तीन से संबंधित इस अंतिम अदालत सत्र में अपने भाषण के दौरान कहा कि आज भी नरसंहार जारी है। उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ा में हो रहे संकट पर सेंसरशिप और मीडिया की चुप्पी बेहद निंदनीय है। उनके शब्दों में: “ग़ज़्ज़ा के लोगों की यह त्रासदी सात अक्टूबर से नहीं, बल्कि सौ वर्षों पहले से ही शुरू हुई थी और अब तक समाप्त नहीं हुई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि फ़िलिस्तीन में जारी यह नरसंहार एक शताब्दी पुराने उपनिवेशवाद और अन्याय की देन है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस्राईल और उसके सहयोगियों को न्याय से भागने की अनुमति दी गई, तो इसका अर्थ होगा कि पूरी दुनिया इस युग के सबसे बड़े अपराधों में से एक को स्वीकृति दे रही है – और इसका दुष्परिणाम सबको भुगतना पड़ेगा।
यह अदालत केवल आज के ग़ज्ज़ा के लोगों को ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के उन फ़िलिस्तीनियों को भी सम्मान देती है जिन्होंने वर्षों से अत्याचार, विस्थापन और पीड़ा सहन की है।
फ़ाल्क ने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल माक्रों की शांति योजना भ्रामक और त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि इसमें अभी भी इस्राईल की नस्लकुशी और अपनाई गई जातीय अलगाव नीति को बनाए रखने की व्यवस्था मौजूद है।
चार दिनों तक चलने वाली यह सार्वजनिक सुनवाई — जो गुरुवार से रविवार तक इस्तांबुल विश्वविद्यालय में आयोजित हुई — अंतरराष्ट्रीय विधिवेत्ताओं, विद्वानों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों की एक वर्ष की मेहनत का परिणाम थी। यह सत्र, इस्राईल द्वारा फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध किए गए अपराधों का दस्तावेज़ीकरण विश्व समुदाय के सामने प्रस्तुत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
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