हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , नजफ़ अशरफ़ के इमाम ए जुमआ, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन क़बांची ने अपने शुक्रवार के खुतबे में कहा कि इस्राईल द्वारा दोहा पर हमले और यमन पर बमबारी को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सिर्फ़ चुप्पी के साथ देखा, और केवल कुछ औपचारिक और बेअसर बयान ही सामने आए।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इन गंभीर अपराधों के जवाब में हमें इस्राईल के खिलाफ़ सख्त क़दम उठाने और सज़ा की मांग करने का पूरा हक़ है, जबकि संयुक्त राष्ट्र भी इन उल्लंघनों को स्वीकार और निंदा कर चुका है।
क़बांची ने आगे कहा कि इस हफ्ते अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी की हत्या हुई, जिसके बाद अमेरिका ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक मनाया। उनके अनुसार, इस तरह की घटना पिछली बार 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या के बाद हुई थी। उन्होंने इसे अमेरिका की आंतरिक असुरक्षा और गंभीर राष्ट्रीय संकट की निशानी बताया।
इमामे जुमआ नजफ़ अशरफ़ ने स्पष्ट किया कि फ़िलिस्तीन का मसला आज पूरी दुनिया का मुद्दा बन चुका है। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी ताक़तें इसे इतिहास के पर्दों में दफ़न करना चाहती थीं, लेकिन अब यह एक जीवित सच्चाई बन चुका है, जो खुद इस्राईली समाज के भीतर भी विभाजन और दरार का कारण बन रहा है।
उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के उस फ़ैसले की भी समर्थन की जिसमें राष्ट्रपति के इराक में युद्ध संबंधी अधिकार खत्म कर दिए गए। उनके अनुसार, यह एक सही दिशा में उठाया गया क़दम है।जुमा के खतीब ने कुछ चरमपंथियों द्वारा शिया विरोधी घृणित भाषणों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम इन गालियों और नफरतों का जवाब गाली या बद्दुआ से नहीं देंगे, बल्कि क़ुरआन की रौशनी में अच्छे व्यवहार और नरमी से जवाब देंगे, जैसा कि क़ुरआन में है:
‘وَيَدْرَؤُونَ بِالْحَسَنَةِ السَّيِّئَةَ’
वह बुराई का जवाब भलाई से देते हैं।
उन्होंने इराक में पानी की कमी, दलदलों और नहरों के सूखने, खेती और पशुपालन की तबाही को एक गंभीर संकट बताते हुए सरकार से तुरंत क़दम उठाने की अपील की, ताकि जनता को इस मुसीबत से राहत मिल सके।
आख़िर में, इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) के जन्मदिवस के मौक़े पर उन्होंने कहा कि सिर्फ़ ‘जाफ़री’ नाम रखने से कुछ नहीं होता, बल्कि यह व्यवहार और जीवनशैली से साबित होना चाहिए।
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