हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हिंदुस्तान में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन डॉ. अब्दुल-मजीद हकीम-इलाही ने अपने हमराह वफ्द के साथ जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मरकज़ी दफ्तर में अमीर-ए-जमाअत, डॉ. सैयद सादतुल्लाह हुसैनी से अहम और मानीखेज मुलाकात की। यह मुलाकात दोनों इदारों के तवील फ़िक्री व समाजी तअल्लुक़ात को मज़ीद मज़बूत बनाने की समत मे एक फ़ैसला-कुन क़दम क़रार दी जा रही है।
मुलाकात का आग़ाज़ निहायत खुशगवार फ़ज़ा में हुआ। अमीर-ए-जमाअत-ए-इस्लामी हिंद डॉ. सैयद सादतुल्लाह हुसैनी ने वफ्द का ख़ैर-मक़दम करते हुए कहा कि सुप्रीम लीडर के दफ़्तर और "जमाअत-ए-इस्लामी हिंद" के बाहमी तअल्लुक़ात कई दहाइयों पर मुहीत हैं। उन्होंने इस अम्र पर ज़ोर दिया कि जमाअत-ए-इस्लामी हिंद मुअतदिल इस्लाम की तर्जुमान है और बैनेल-मज़ाहिब गुफ्तगू को अपनी फ़िक्री आसास का बुनियादी हिस्सा समझती है।
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन हकीम-इलाही ने अपनी गुफ्तगू में नौजवान नस्ल के फ़िक्री बहरान, सोशल मीडिया के वसी असरात और मग़रिबी तहज़ीबी यलगार के ख़तरात का तफ़सीली जाएज़ा पेश किया।
उन्होंने कहा कि आज सत्तर फ़ीसद नौजवान इंटरनेट से बराहे-रास्त अपनी फ़िक्री ग़िज़ा हासिल कर रहे हैं, ऐसे में दीऩी मराकिज़, उलेमा और जमाअत-ए-इस्लामी जैसे इदारों पर ज़िम्मेदारी पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ चुकी है।
उन्होंने आलमी सतह पर बढ़ती खुदकुशी की शरह, खांदानी निज़ाम के बिखरने और दीऩी शऊर की कमजोरी को संजीदा मसाइल क़रार देते हुए कहा कि इस्लामी इदारों को मौसर ऑनलाइन मौजूदगी इख़्तियार करना अब ना गुज़ीर हो चुका है।
हकीम-इलाही ने इस्लाम की मौजूदा तीन नमायां तअबीरत को वाज़ेह अंदाज़ में बयान किया:
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तकफ़ीरी इस्लाम — शिद्दत-पसंदी, फ़िर्क़ावारियत और तशद्दुद पर क़ायम फ़िक्र; जिसकी मिसाले दाइश, अल-कायदा और बोकोहहराम जैसे गिरोह हैं।
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लिबरल इस्लाम — इस्लामी तालीमात को मग़रिबी अफ़कार के ताबे करने की कोशिश, जिसके नतीजे में फ़िलस्तीन और ग़ज़्ज़ा जैसे मसाइल पर आलम-ए-इस्लाम कमज़ोर नज़र आता है।
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मुअतदिल इस्लाम — इंसाफ़, गुफ़्तगू, अमन और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ मज़ाहमत पर क़ायम वो रास्ता जिससे ईरान, हिंदुस्तानी उलेमा और जमाअत-ए-इस्लामी हिंद इत्तेफ़ाक रखते हैं।
उन्होंने 12 रोज़ा ईरान–इस्राईल जंग के दौरान ईरान की हिमायत पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का ख़ास शुक्रिया अदा किया।
मुलाकात में दोनों इदारों ने मुस्तकबिल के तआवुन के लिए मुतअद्दिद नुक्तों पर इत्तेफ़ाक किया, जिनमें मुश्तरका इल्मी व तहक़ीक़ी मंसूबों का आग़ाज़, फ़िक्री व सकाफ़ती प्रोग्राम, सेमिनार और कॉन्फ़्रेंसों का इनक़ाद, नौजवान नस्ल के लिए तर्बियती वर्कशॉप्स और ऑनलाइन तालीमी मवाद की मुश्तरका तैय्यारी शामिल है।
अमीर-ए-जमाअत-ए-इस्लामी हिंद, डॉ. सादतुल्लाह हुसैनी ने इस तआवुन का ख़ैर-मक़दम करते हुए कहा कि यह शेयरकत वक़्त की बुनियादी ज़रूरत है और जमाअत-ए-इस्लामी हिंद इसे पूरी संजीदगी से आगे बढ़ाएगी।
मुलाकात दोस्ताना और बावक़ार माहौल में इख़्तताम-पज़ीर हुई, जिसके बाद जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने वफ्द के अज़ाज़ में ज़ियाफ़त-ए-अशाइया का एहतमाम किया। इस मुलाक़ात को दोनों इदारों के दरमियान फ़िक्री हम-आहंगी, दीऩी तआवुन और मुश्तरका मंसूबों के एक नए बाब का आग़ाज़ क़रार दिया जा रहा है।
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