हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,शनिवार की शाम तेल अवीव के केंद्र हबीमा चौक में भारी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के विरुद्ध नारे लगाए।
प्रदर्शनकारियों में मुख्यतः 7 अक्टूबर 2023 के हमले में मारे गए लोगों के परिजन, जीवित बचे लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विपक्ष के समर्थक शामिल थे। उनका कहना था कि 7 अक्टूबर की घटनाओं में हुई विफलताओं की पूर्ण जाँच के लिए सरकारी स्तर पर एक स्वतंत्र सत्य-अन्वेषण समिति तुरंत गठित की जाए।
यह प्रदर्शन अक्टूबर परिषद नामक संगठन द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें मारे गए लोगों के परिवारों और पूर्व बंधकों के परिजन शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी सत्य-अन्वेषण समिति अब चाहिए! और “नेतन्याहू विफलता के ज़िम्मेदार हैं जैसे लिखे पोस्टर उठाए हुए थे। उन्होंने नेतन्याहू सरकार पर “सच्चाई छिपाने” और एक अनौपचारिक तथा नियंत्रित समिति बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
हिब्रू मीडिया संस्थानों, जैसे “कान” और “वाई-नेट”, की रिपोर्टों के अनुसार, यह प्रदर्शन नेतन्याहू सरकार के हालिया निर्णय के प्रत्यक्ष विरोध में था, जिसमें नवंबर 2025 की शुरुआत में घोषणा की गई थी कि सरकार एक “पूर्ण अधिकारों वाली” लेकिन गैर-सरकारी समिति गठित करेगी।
प्रदर्शनकारियों ने इसे सफ़ेद-पोश समिति” कहकर खारिज किया और कहा कि केवल उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली एक स्वतंत्र समिति ही जन-विश्वास अर्जित कर सकती है।
प्रदर्शन में बोलने वालों में मारे गए लोगों के परिवारों के सदस्य भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू ज़िम्मेदारी से बच रहा हैं। एक वक्ता ने कहा, “ढाई वर्ष बीत चुके हैं और अभी तक कोई वास्तविक जाँच नहीं हुई। नेतन्याहू, जो देश के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी के समय सत्ता में थे, सच्चाई से डरते हैं।
विपक्ष के नेता यायर लापिद ने एक अलग बयान में इस प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा,सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि सच्चाई से भाग सके और ज़िम्मेदारी से बच सके। सरकारी सत्य-अन्वेषण समिति की मांग पर राष्ट्रीय सहमति है।
तेल अवीव पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन बिना किसी बड़ी झड़प के समाप्त हुआ, हालांकि कुछ घंटों तक शहर के केंद्र में यातायात बाधित रहा। यह प्रदर्शन नवंबर के मध्य से तेज़ हुई उस नई विरोध-लहर का हिस्सा है, जिसमें पूर्व विपक्षी नेताओं जैसे नफ़्ताली बेनेट की उपस्थिति भी रही है।
नेतन्याहू सरकार अब भी व्यापक जन-समर्थन वाली समिति के गठन पर अड़ी हुई है और उसका कहना है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के नेतृत्व वाली सरकारी समिति “पक्षपाती” होगी। इसके बावजूद हालिया जनमत-सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि इसराइल के अधिकांश नागरिक (कुछ सर्वेक्षणों में 80 प्रतिशत से अधिक) सरकारी सत्य-अन्वेषण समिति के गठन का समर्थन करते हैं।
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