हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आयतुल्लाह कुरबान अली दरी नजफाबादी ने कुरआन के तफ्सीर के दरस में कहा कि कुरआन और अहलेबैत अ.स.की शिक्षाएँ व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं का मौलिक समाधान हैं और युवा पीढ़ी की परवरिश केवल कुरआन और अहलेबैत अ.स. की शिक्षाओं से ही संभव है, ताकि वे सांस्कृतिक आक्रमण और बौद्धिक विचलन से सुरक्षित रह सकें।
आयतुल्लाह कुरबान अली दरी नजफाबादी ने आज सुबह कुरआन के तफ्सीर के दरस को संबोधित करते हुए कहा कि कुरआन से लगाव, इस्लामी ज्ञान की गहरी समझ और पैगंबर-ए-इस्लाम स.अ.व.व. और मासूम इमामों (अ.स.) की सीरत की पैरवी इंसान को विभिन्न बौद्धिक और व्यावहारिक चुनौतियों से मुक्ति देने का निश्चित रास्ता है।
उन्होंने कहा कि कुरआन एक पूर्ण मार्गदर्शक घोषणापत्र है जो जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है। चाहे व्यक्तिगत इबादतें हों या सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और शैक्षणिक क्षेत्र - हर स्तर पर इसकी शिक्षाएँ इंसान को सही दिशा प्रदान करती हैं।
आयतुल्लाह दरी नजफाबादी ने युवा पीढ़ी की परवरिश को विशेष रूप से आवश्यक बताते हुए कहा कि आज के युवाओं को अध्ययन, आलोचनात्मक सोच और कुरआनी शिक्षाओं पर अमल की सख्त जरूरत है, ताकि वे पश्चिमी वैचारिक आक्रमण, सांस्कृतिक हमलों और गुमराह करने वाले संदेहों से सुरक्षित रहकर कुरआन और अहलेबैत (अ.स.) की रोशनी वाली बुनियादों पर अपनी आधुनिक इस्लामी पहचान बना सकें।
उन्होंने कहा कि अहलेबैत अ.स.की शिक्षाएँ नैतिकता, न्याय, परहेजगारी, सेवा और बौद्धिक एवं व्यावहारिक जेहाद का एक व्यापक तंत्र प्रदान करती हैं, जो व्यक्ति और समाज दोनों के निर्माण में मौलिक भूमिका निभाता है।
इमाम-ए-जुमआ अराक ने इस बात पर भी जोर दिया कि युवाओं और समाज के बीच नैतिकता, जिम्मेदारी और लोक-सेवा की चेतना को कुरआन और अहलेबैत (अ.स.) की सीरत की बुनियाद पर मजबूत किया जाए।
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