रविवार 21 दिसंबर 2025 - 16:59
हक़ीकी ख़ज़ाना सोना और चांदी नहीं बल्कि मआरिफ इलाही है

हौज़ा / आयतुल्लाह दरी नजफ़़ाबादी ने अपने दर्स ए ख़ारिज में इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) की विलादत बासआदत की मुबारकबादी पेश करते हुए आपके इल्मी और रूहानी मुक़ाम पर ज़ोर दिया और फ़रमाया कि वास्तविक ख़ज़ाना दुनियावी दौलत नहीं, बल्कि मआरिफ़-ए-इलाहिया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ईरान के शहर अराक में आज आयोजित दर्स-ए-ख़ारिज में प्रांत मरकज़ी में वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि आयतुल्लाह दरी नजफ़़ाबादी ने इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) की विलादत की मुबारकबाद तमाम मुसलमानों और आशिक़ान-ए-अहलेबैत (अ.स.) को दी।

उन्होंने क़ुरआन-ए-करीम की एक आयत की तफ़्सीर करते हुए कहा कि असल ख़ज़ाना सोना और चाँदी नहीं, बल्कि तौहीद, ईमान और ईश्वरीय ज्ञान हैं, जो इंसान की दुनिया और आख़िरत दोनों को संवारते हैं।

आयतुल्लाह दरी नजफ़़ाबादी ने उन लोगों पर अफ़सोस जताया जो मौत और क़ियामत के हिसाब पर ईमान रखने के बावजूद फ़िज़ूल मशग़ूलियों में उलझे रहते हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि इस्लामी समाज की तरक़्क़ी के लिए दीनी शिक्षाओं से मार्गदर्शन लेना अनिवार्य है।

इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) की शख़्सियत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आप इल्म, मारिफ़त और विलायत के अग्रदूत थे। आपने उत्कृष्ट शियों की तरबियत और क़ुरआनी मआरिफ़ की व्याख्या के माध्यम से उम्मत-ए-मुस्लिमा की इल्मी और अक़ीदे की बुनियादों को मज़बूत किया।

दर्स के एक अन्य हिस्से में आयतुल्लाह दरी नजफ़़ाबादी ने ईरान में हालिया बारिशों को रहमत-ए-इलाही क़रार दिया और बताया कि लगभग 40 मिलीमीटर औसत वर्षा से किसानों और आम जनता में ख़ुशी की लहर दौड़ गई।

अंत में उन्होंने इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) की सीरत पर प्रामाणिक पुस्तकों और शोध कार्यों के अध्ययन तथा आपकी शिक्षाओं से व्यावहारिक लाभ उठाने पर ज़ोर दिया।

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