ग़ाफ़िर छोलसी
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मज़बूत क़िलों में बंद होने के बावजूद मौत के चंगुल से बचना संभव नहीं,मौलाना गफिर रिज़वी
हौज़ा / जिनके मन में पाप की बस्ती होती है उनके हृदय में मृत्यु का भय है। जब ईमान वालों के सामने मौत का नाम आता है तो ये कहते नज़र आते हैं,अगर हम सही रास्ते पर हैं, तो हमें क्या परवाह है कि मौत हम पर आ जाए या हम मौत पर जा पड़े इसकी बेहतरीन मिसाल हुसैन का कड़ियल जवान अली अकबर है,
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क़िस्त न. 1
भारतीय धार्मिक विद्वानो का परिचय। अल्लामा ग़ुलाम हस्नैन कनतूरी
हौज़ा / पैशकश: दानिशनामा ए इस्लाम, इंटर नेशनल नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर दिल्ली
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इंसानी लबादे में छिपा शैतान का चेहरा सामने आ गया, मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिजवी छोलसवी
हौजा / अभिमानी कुरान ने खुद को साबित कर दिया कि मैं रिजवी नहीं रुश्दी हूं, मेरे नाम से धोखा मत खाओ लेकिन मेरे काम को देखो, क्या मेरे काम में इस्लाम का कोई गुण है? जब मेरा इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है तो फिर मुझ से अच्छाई की उम्मीद क्यो कर रहे हो?
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रजा सिरसिवी एक अनमोल गौहर
हौजा / स्वर्गीय रज़ा सिरसिवी साहब की वह नज़म जो जो उन्होंने माँ के शीर्षक के तहत लिखी थी, आज तक शायरी के इतिहास में उसका उदाहरण नही मिल सका। कई शायरो ने इस विषय पर लिखा है, लेकिन यह रज़ा सिरसिवी की सार्वभौमिकता (आफ़ाक़ियत) तक नहीं पहुंच पाए।