۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
مولانا سید غافر رضوی

हौज़ा / जिनके मन में पाप की बस्ती होती है उनके हृदय में मृत्यु का भय है। जब ईमान वालों के सामने मौत का नाम आता है तो ये कहते नज़र आते हैं,अगर हम सही रास्ते पर हैं, तो हमें क्या परवाह है कि मौत हम पर आ जाए या हम मौत पर जा पड़े इसकी बेहतरीन मिसाल हुसैन का कड़ियल जवान अली अकबर है,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इंटरनेशनल मैक्रोफिल्म नूर दिल्ली में आयोजित मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर जै़दी के पिता की मजलिसे सोयोम को संबोधित करते हुए मौलाना हुज्जतुल इस्लाम सैय्यद ग़ाफिर रिज़वी साहब ने कहा: हर जीव को मौत का स्वाद चखना है, यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे कोई इनकार नहीं कर सकता, काफिरों ने ईश्वर को नकार दिया, पैगंबर को नकार दिया, इमामों को नकार दिया, लेकिन इस कड़वी सच्चाई के सामने बे दीन भी इस बात को मानते हैं।
मौलाना ने आगे कहा :मजबूत किलों में बंद होने के बावजूद मौत के चंगुल से बच पाना संभव नहीं है। मृत्यु का समय, मृत्यु का स्थान, मृत्यु से जुड़ी हर चीज मनुष्य के नियंत्रण से बाहर है और यह शक्ति ईश्वर के हाथ में है।
मौलाना ग़ाफ़िर रिज़वी ने अपना भाषण जारी रखा और कहा: सुलेमान जैसा ईश्वर का एक नबी जिसने पूरी दुनिया पर शासन किया। जब मौत का वक्त आया तो बैठने की भी अनुमति नहीं मिली और उसी हालत में बदन से रूह निकल गई,जब ऐसा प्रभावशाली व्यक्ति मृत्यु के सामने बेबस है, तो हमारे जैसे छोटे मनुष्यों की क्या औक़ात है, इसलिए हमें मृत्यु को हमेशा याद रखना चाहिए। क्योंकि मौत को हमेशा याद रखना चाहिए मौत को याद रखने से ईमान मज़बूत होता है, अगर हमारे दिल में मौत का खौफ़ (भय) मौजूद है तो इसका यह मतलब है कि हमारे ईमान में कुछ ना कुछ कमी है। मौत से वो डरते हैं जिनका इमान कमज़ोर होता है।
जब ईमान वालों के सामने मौत का नाम आता है तो ये कहते नज़र आते हैं,अगर हम सही रास्ते पर हैं, तो हमें क्या परवाह है कि मौत हम पर आ जाए या हम मौत पर जा पड़े इसकी बेहतरीन मिसाल हुसैन का कड़ियल जवान अली अकबर है।
आखिर में मौलाना ने कहा कि अगर हम इस महान शख्सियतों के अनुयायी हैं तो हमें भी मौत के सामने सीना सिपर होकर खड़े रहना चाहिए ताकि राहे हक़ पर बाकी रहे हमेशा और मौत के लिए हमेशा तैयार रहें।

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