۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
ग़ाफ़िर छोलसवी

हौजा / अभिमानी कुरान ने खुद को साबित कर दिया कि मैं रिजवी नहीं रुश्दी हूं, मेरे नाम से धोखा मत खाओ लेकिन मेरे काम को देखो, क्या मेरे काम में इस्लाम का कोई गुण है? जब मेरा इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है तो फिर मुझ से अच्छाई की उम्मीद क्यो कर रहे हो?

हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, सागर इल्म दिल्ली के संपादक मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिजवी छोलसवी ने एक बयान में कहा कि सोशल मीडिया पर अजीबोगरीब खबर वायरल हो रही है, कुछ दिन पहले वसीम ने कुरान की 26 आयतें हटाने के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। ' क्योंकि ये आयतें आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं, चूँकि वह स्वयं एक आतंकवादी है, इसलिए उसे ईश्वर की पुस्तक में भी आतंकवाद दिखाई दे रहा है। इस विषय के संदर्भ मे चारो ओर से वसीम को लानतो के तौक पेश किए गए लेकिन शायद उसके लिए तौक की संख्या कम रह गई थी इसलिए उसने फिर से एक और कुरान बनाने के लिए प्रधान मंत्री से याचिका दायर की।

उन्होंने कहा कि सागर इल्म इस अज्ञानी विचार की कड़ी निंदा करता हैं और वसीम को समझाना चाहता हैं कि जिस पुस्तक के बिंदु को बदलना संभव नहीं है, वहां छब्बीस आयतो को बदलना या पूरी किताब को बदलना किसी भी तरह संभव नही है।

एक जमाने में हम वसीम को अपना समझते थे, लेकिन हमें इस समय यह कहावत याद आ गई:
अपने ऐसे हो तो दुश्मन की जरूरत क्या है ?

लेकिन इंसान के वेश में शैतान का चेहरा सबके सामने आ गया और उसने खुद को साबित कर दिया कि मैं रिजवी नहीं बल्कि रुश्दी हूं, मेरे नाम से धोखा मत खाओ बल्कि मेरे कर्मों को देखो, क्या मेरे कर्मों में इस्लाम का कोई गुण है?
जब मेरा इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है तो आप मुझसे भलाई क्यों उम्मीद करते हैं?

अब हम समझते हैं कि यह आदमी हमारा नहीं बल्कि दुश्मन और दुश्मन का एजेंट है, अपनी ही निन्दा से पकड़ा गया था
ऐसे में हर मुसलमान का फर्ज है कि वह खुदा की किताब का विरोध करने वालों के सामने तलवार को बेनकाब करे, क्योंकि लात के भूत बातो से नही मानते।

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