۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
ग़ुस्ले मसे मय्यत
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शरई अहकाम:
जिसके ऊपर ग़ुस्ल मसे मैय्यत वाजिब हो क्या वह बिना गुस्ल किए रोज़ा रख सकता हैं?
हौज़ा / जिस शख्स ने मैय्यत को मस किया हो,यानी अपने बदन का कोई हिस्सा मैय्यत के बदन से छुआ हो)वह ग़ुस्ल मसे मैय्यत के बगैर रोज़ा रख सकता है और अगर रोज़े की हालत में भी मैय्यत को मस करें तो उसका रोज़ा बातिल नहीं होता।
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शरई अहकाम:
अस्पताल के स्टाफ़ पर एहतेज़ार की हालत मे मरीज़ को टच करने पर क्या ग़ुस्ले मसे मय्यत वाजिब होता है?
हौज़ा | नहीं, लेकिन शरीर ठंडा हो जाने के बाद मस करने से ग़ुस्ले मसे मय्यत वाजिब हो जाता है।