۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
मौलाना अली असगर

हौज़ा / मुस्लिम संगठन नफरत का जवाब नफरत से देने में विश्वास नहीं रखते बल्कि देश में स्थायी और अनुकूल परिस्थितियों के लिए सक्रिय हैं। देश के मौजूदा हालात में मुस्लिम संगठनों की स्थिति यह है कि नफरत का जवाब नफरत से नहीं दिया जा सकता।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, सेंट्रल जमात-ए-अहल-ए-हदीस-ए-हिंद के अमीर मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सल्फी ने कहा कि मुस्लिम संगठन नफरत का जवाब नफरत से देने मे विश्वास नही रखते हैं। लेकिन देश में स्थायी और अनुकूल परिस्थितियो के लिए सक्रिय हैं।

मौलाना असगर इमाम मेहदी सल्फी ने कहा कि मुस्लिम संगठन वास्तव में इस देश और इस समाज का हिस्सा हैं और वे ऐसी स्थितियों और घटनाओं पर कड़ी नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि संगठन वर्तमान स्थिति पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। जितना हो सके नफरत को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम संगठन गैर-सरकारी और गैर-राजनीतिक संगठन हैं। इसका दायरा है। धर्म के आलोक में वे एक दूसरे से जुड़ने का काम करते हैं। उन्होंने कहा, "जब भी देश में नफरत का माहौल होता है और तांडव खेला जाता है और अन्य धर्मों के साथ अन्याय का दौर होता है, हम अपनी स्थिति से विचलित नहीं होते हैं और नफरत का जवाब नफरत से देने में विश्वास नहीं करते हैं।" अच्छा काम, जिम्मेदारी की भावना के साथ ताकि नफरत का माहौल न बढ़े।

मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलाफी ने कहा कि समाज को टिकाऊ बनाने के लिए हम बुनियादी चीजों पर कड़ी मेहनत करते हैं चाहे वह मदरसों के माध्यम से हो या धर्म की प्रतिष्ठित हस्तियों के भाषणों के माध्यम से ताकि वे बदले के मामलों पर काम न करें। उन्होंने कहा कि मुस्लिम संगठन अपने काम में लगे हैं, वे अपने देश के हालात पर नजर रखते हैं और देश में सौहार्द बनाए रखने के लिए इस पर चर्चा करते हैं।

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